पीएम मोदी भी नहीं बचा पाए रिलायंस को, दिवाली से पहले निकला दिवाला

रिलायंस मुंबई। लम्‍बी चली बातचीत के बाद अब कुछ नतीजा निकलने को है। अनिल अंबानी की रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क्स (RBN) को सुभाष चंद्रा की जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEE) ने  1872 करोड़ रुपए में खरीदने को तैयार है। दरअसल जो भी चैनल रिलायंस बेच रहा है वह अभी तक कोई खास मुनाफा नहीं कमा पाए हैं। इसलिए मजबूरन भी उसे यह डील करनी पड़ रही है।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक खबर है कि दोनों कंपनियों के बीच सौदे के लिए बातचीत 4 अक्‍टूबर को फिर से शुरू हुई थी, जिसका नतीजा अब जल्‍द ही सामने आने वाला है।

उद्योगपति डील पर कई तरीकों से विचार करने के बाद अब इस सौदे के लिए तैयार हैं। सौदे में जी के लिए सबसे बड़ी अड़चन यह थी कि रेडियो सेक्टर में 49 पर्सेंट से अधिक विदेशी निवेश नहीं हो सकता, जबकि नॉन-न्यूज टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है।

डील की खास बातें

यह डील करीब-करीब हो चुकी है। जी और आरबीएन के बीच रेडियो और टेलीविजन बिजनस के लिए 1,872 करोड़ रुपये की एंटरप्राइज वैल्यू पर सहमति बन गई है।’ आरबीएन के पास प्राइवेट एफएम ब्रैंड 92.7 बिग एफएम और दो टीवी चैनल- बिग मैजिक (कॉमेडी एंटरटेनमेंट) और बिग गंगा (भोजपुरी एंटरटेनमेंट) हैं।

सूत्रों ने बताया कि इससे पहले ड्यू डिलिजेंस के बाद मध्य अगस्त में दोनों कंपनियों के बीच बातचीत टूट गई थी। अंबानी ग्रुप इस बिजनस के लिए 2300-2400 करोड़ रुपये की कीमत मांग रहा था, जबकि जी 1,800 करोड़ रुपये से अधिक देने को तैयार नहीं था।

रिलायंस ग्रुप के ग्रुप मैनेजिंग डायरेक्टर अमिताभ झुनझुनवाला और सुभाष चंद्रा के एस्सेल ग्रुप के ग्रुप फाइनैंस ऐंड स्ट्रैटेजी हेड हिमांशु मोदी इस साल की शुरुआत से ही इस सौदे पर काम कर रहे थे।

एक सूत्र ने कहा, ‘दोनों कंपनियां डील का स्ट्रक्चर इस तरह से तय करेंगी, जिससे विदेशी निवेश के मौजूदा कानून का उल्लंघन ना हो। डील के साथ दो दिक्कतें थीं। पहला, फेज 3 रेडियो पॉलिसी के तहत तीन साल का लॉक इन पीरियड, जिसमें रेडियो कंपनियों को 49 पर्सेंट से अधिक हिस्सेदारी बेचने की इजाजत नहीं है। दूसरी, 49 पर्सेंट की एफडीआई लिमिट।’

सूत्रों ने बताया कि जी पहले आरबीएन में 49 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदेगी, लेकिन वह बाद में इसे बढ़ाकर 51 पर्सेंट का वादा भी करेगी। इस खबर के लिए झुनझुनवाला और आरबीएन को ईमेल से भेजे गए सवालों का जवाब नहीं मिला।

हालांकि, कंपनी के एक सूत्र ने बताया, यह बात सबको पता है कि रिलायंस कैपिटल (रिलायंस ग्रुप की इनवेस्टमेंट आर्म) मीडिया बिजनस से निकलना चाहता है। ग्रुप डिफेंस, फाइनैंशल सर्विसेज, पावर और टेलीकॉम बिजनस पर ध्यान देना चाहता है।

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