यूपी पंचायत चुनाव: उम्मीद्वार लोगों को कीमती सामानों का लालच देकर मांग रहे चुनाव में वोट

ग्राम पंचायत का चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहा है, वैसे उम्मीद्वार लोगों के वोटों को लेने का चक्कर काटना शुरू कर दिया है। वहीं लोगों को बड़े बड़े लालच देकर वोट पाने का आधार बना रहे है। पर्दे के पीछे साड़ी, शराब और नकदी तो हर पंचायत चुनाव बाँटा जाता है। मगर इस बार प्रदेश चुनाव कुछ नए रंग-रूप नजर आ रहा है। चुनावी मैदान में उतरे तमाम चेहरे समय और समाज के हिसाब से ‘व्यवहार’ बदलकर मतदाताओं को रिझाने और अपने ओर खींचनें में लगे हुए है।

प्रदेश में पंचायत चुनाव के साथ-साथ शादी-विवाह, बहू विदाई जैसे मांगलिक आयोजन भी पड़ रहे हैं। पर, ये कार्यक्रम चुनाव के दावेदारों के लिए मतदाताओं को अपने तरफ करने का साधन बना रहे है। इसमें खास बात यह है कि हर गांव-गांव होने वाले इस तरह के आयोजनों पर सरकारी तंत्र की खास नजर नहीं होती। 

दावेदार आचार संहिता के द्वंद्व से मुक्त होकर नए तरह से लोगों तक सामान पहुंचा रहे हैं। यह नकद रूपया कम कीमती वस्तुओं के रूप में लोगों तक पहुचा रहे है। ढेरों साड़ी बाँट रहे है, तो कोई पायल व बिछुआ दे रहा है। परिवार में वोट अगर ज्यादा हैं और प्रभाव भी पास पड़ोस में तो व्यवहार और भी वजन हो जाता है। यह गहनों के रूप में दिया जा रहा है।

चुनाव का हाल देखा जाए तो चुनाव में परिवर्तन के किस्से गांव वासियों की जुबान जगह-जगह सुने जा रहे है। बीते त्योहार होली के दौरान पिछले चार दिनों में गोंडा, बहराइच और बाराबंकी में इस तरह के कई मामले सामने आए है।

ग्रामीण लोगों का कहना है कि सरकार काफी सख्त है। ऐसे में दावेदार नकदी की जगह सामान लोगों को दे रहे है। उम्मीद्वार खुद मांगलिक आयोजनों में पहुंचते हैं लेकिन व्यवहार समर्थकों के हाथ घर मालिक भी आ रहे है। इसी तरह दिल्ली, मुंबई, सूरत, लुधियाना, जालंधर जैसे दूर के शहरों में नौकरी कर रहे परिवारों को चुनाव में वोट डालने बुलाने के लिए टिकट का भी सुविधा दे रहे है।

पंचायत चुनाव में लोगों के वोट के लिए हर काम कर रहे है उम्मीद्वार। कई जगह पर बीमारी से परेशान लोगों के इलाज के लिए बढ़चढ़ कर मदद कर रहे हैं। आग लगने में बर्तन, कपड़ा, नकदी की मदद भी करते नजर आ रहे है। चुनाव के बीच इस तरह की मदद प्रत्याशी अपनी संवेदनशील छवि निखारने के लिए रहे है।

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