पीएम मोदी ने योगी के पीछे लगाई तीसरी आंख, बिन इशारे पत्ता भी नहीं हिल पाएगा

मोदी की योगी पर नजरलखनऊ। यूपी में नए सीएम के काबिज होने के बाद सभी की जुबान पर बस एक सवाल था। योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मर्जी से यूपी की गद्दी सौंपी गई या बिना मर्जी के? इस सवाल से जुड़ी तमाम अटकले बाजी के बीज एक रिपोर्ट ने सबकी जुबान पर मानों ताला लगाकर रख दिया। बता दें साफ हो गया है कि पीएम मोदी की योगी पर नजर रहेगी। बिना उनके इशारे के प्रदेश का एक पत्ता भी नहीं हिल पाएगा। जी हां, इसके लिए पीएम मोदी ने अपने एक भरोसेमंद सिपाही को आदित्यनाथ की निगरानी के लिए तैनात किया है।

मोदी की योगी पर नजर

इस सिपाही का काम प्रधानमंत्री कार्यालय और आदित्यनाथ सरकार के बीच समन्वय बनाना है। ये सिपाही कोई और नहीं प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा हैं।

आपको याद होगा कि जब साल 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने यूपी कैडर के आईएएस नृपेंद्र मिश्रा को केंद्र में बुलाया था।

ख़बरों के मुताबिक़ नृपेंद्र मिश्रा पीएम मोदी और सीएम आदित्यनाथ के बीच संपर्क सेतु होंगे। रिपोर्ट के अनुसार मिश्रा ने रविवार (19 मार्च) शाम को सीएम आदित्यनाथ से 45 मिनट तक चर्चा की।

माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश प्रशासन में सभी प्रमुख नियुक्तियां मिश्रा से चर्चा करने के बाद ही होंगी। आदित्यनाथ ने रविवार को दो डिप्टी सीएम और 44 मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण किया।

यूपी बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया। भाजपा ने यूपी की सत्ता में 15 साल बाद वापसी की है।

दावा किया गया है कि मिश्रा और आदित्यनाथ ने गरीबों तक सरकार की योजनाओं का अधिकतम लाभ पहुंचाने पर चर्चा की।

44 वर्षीय आदित्यनाथ यूपी की गोरखपुर संसदीय सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं। सीएम पद की शपथ लेते ही उन्होंने राज्य के पुलिस प्रमुख और प्रमुख सचिव को तलब करके कानून-व्यवस्था का जायजा लिया।

फरवरी-मार्च में हुए चुनाव राज्य की कुल 403 सीटों में से 312 पर भाजपा को जीत मिली है। वहीं उसके सहयोगी दलों अपना दल (एस) और भासपा को 13 सीटें मिली हैं।

इस तरह भाजपा गठबंधन के पास कुल 325 सीटें हैं। राज्य में मिले प्रचंड बहुमत के बाद से ही इस बात के कयाल लगाने जा रहे थे कि इस भारी बहुमत के बाद पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी मर्जी का ही सीएम नियुक्त करेंगे।

सीएम की दौड़ में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन सचिव राम लाल, दिनेश शर्मा समेत कई नाम बताए जा रहे थे। लेकिन भाजपा आलाकमान ने योगी आदित्यानाथ के नाम को शनिवार (18 मार्च) को भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद ही किया।

इस बात से यह साफ होता है कि हो न हो योगी को यूपी का सीएम बनाने में पीएम मोदी की हां नहीं रही। इसीलिए वे अब पूरी तरह से सीएम योगी पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।

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