मोदी की ड्रिंक… किसानों को दिलाएगी तरक्की, कुपोषण के साथ गरीबी भी होगी दूर

मोदी का जूसनई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में किसानों की दशा सुधारने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसके लिए वे तरह-तरह की स्कीमें लागू करते चले आए हैं। आगे भी किसानों के हित में कई योजनाए बनाई हैं। इसी के तहत ‘मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर ‘मेड इन इडिया’ जूस लाने की तैयारी की जा रही है। उम्मीद की जा रही हैं कि जल्द ही ये पीएम मोदी का जूस, बाजार में उपलब्ध अन्य ड्रिंक्स को किनारे कर देगा। इससे किसानों की आय के श्रोत भी बढ़ेंगे और उनकी सामाजिक स्थिति में भी सुधार आएगा।

मोदी का जूस…   

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ। आलोक धवन का मानना है कि गन्ने के रस को तीन से चार महीने तक प्रिजर्व रखते हुए और इससे स्वास्थ्य को होने वाले लाभ व लोकप्रियता के कारण करोड़ों की कंपनी खड़ी की जा सकती है। इसका सीधा फायदा किसानों को होगा।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की सात प्रयोगशालाएं मिलकर इस ओर काम कर रही हैं। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा से संबंधित अन्य प्रयोग भी किए जा रहे हैं। हालांकि, ये काम आसान नहीं होगा।

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ। गिरीश साहनी का कहना है कि, “यह सच है विभिन्न विषयों से वैज्ञानिकों, उदाहरण के लिए, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, जीव विज्ञान, अक्सर आपस में मिलना और उनके सामूहिक ज्ञान को एक साथ रखा करने का अवसर नहीं मिलता है। ”

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने मिलावट और खराब हो जाने के कारण होने वाली खाने की बर्बादी को रोकने पर काम करने का फैसला किया है। हर साल 92 हजार करोड़ रुपए का खाना ग्राहकों तक पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो जाता है।

वहीं करीब 13 हजार “मेड इन इंडिया” के ऐसे आइटम हैं, जिन्हें 2011-2015 के दौरान अमेरिकी एफडीए ने अस्वीकार कर दिया। ये  भारत के आर्थिक हितों पर एक गंभीर चोट है।

इसलिए सरकार की देखरेख में ‘फोकस’ नाम का एक संगठन, खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत अमूल, आईटीसी और एफसीआई के साथ मिलकर काम कर रहा है।

इससे न सिर्फ किसानों को लाभ मिलेगा बल्कि गरीबी और कुपोषण से जूझ रहे लोगों को खाना मुहैया कराने की चुनौती का सामना करने में भी मदद मिलेगी।

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