मथुरा में तनाव बरकरार, सरकार पर उठे सवाल

मथुरा में हुई हिंसक झड़पमथुरा| पुलिस और अतिक्रमणकारियों के बीच मथुरा में हुई हिंसक झड़प के एक दिन बाद शहर में शांति है, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। गुरुवार को हुई हिंसा में अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी और फराह पुलिस थाना प्रभारी संतोष यादव के साथ 22 उपद्रवी भी शामिल हैं।

मथुरा में हुई हिंसक झड़प

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जावीद अहमद ने बताया कि मथुरा में हुई हिंसक झड़प में 23 पुलिसकर्मी घायल हैं, जिसमें से कुछ की हालत गंभीर है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दोनों अधिकारियों के परिवार वालों को 20-20 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है।

मथुरा में स्थिति का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को राज्य के कई वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे।

संभागीय आयुक्त प्रदीप भटनागर ने मथुरा के दौरे के बाद कहा कि कड़ी कार्रवाई की जाएगी और हिंसा में शामिल दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

अपने आप को ‘सत्याग्रही’ कहने वाले अतिक्रमणकारियों से 280 एकड़ में फैले जवाहरबाग को खाली करा लिया गया है। यह अब पुलिस के नियंत्रण में है।

शहर में पीएसी की 12 कंपनियां पहले से तैनात हैं, गुरुवार रात तीन और कंपनियां यहां पहुंच गईं।

सवाल उठ रहे हैं कि पिछले 16 महीनों से अतिक्रमणकारियों को क्यों नहीं हटाया गया। ब्रज बचाओ समिति के सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की मांग की है ताकि उन साजिशों का पर्दाफाश हो सके जिनकी वजह से नौबत यहां तक पहुंची।

समिति के अध्यक्ष मनोज चौधरी ने आईएएनएस को बताया, “ये बाबा लोग मथुरा-वृंदावन में अपना साम्राज्य खड़ा कर रहे हैं और सभी प्रकार के संदिग्ध भूमि सौदों में शामिल होते हैं। नेताओं से उनकी नजदीकी जगजाहिर है। इनमें से कुछ को राज्य की सत्ताधारी पार्टी का संरक्षण हासिल है।”

मथुरा के नागरिक संगठनों का कहना है कि यह स्पष्ट रूप से खुफिया विभाग की नाकामी है।

सामाजिक कार्यकर्ता गिरधारी लाल ने कहा, “इन लोगों ने किस तरह इतने बड़े पैमाने पर हथियारों की तस्करी की, इसकी जांच होनी चाहिए। इनमें से कुछ को गुरिल्ला लड़ाई का प्रशिक्षण हासिल था और उन्होंने पेड़ों के बीच अपना ठिकाना बना रखा था, जहां से उन्होंने पुलिस पर गोलीबारी की।”

अधिकारियों के मुताबिक ‘सत्याग्रहियों’ ने 18 अप्रैल 2014 को जवाहरबाग पर कब्जा जमाया था। 30 सितंबर 2015 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके निष्कासन का आदेश जारी किया। इस साल अप्रैल में एक समूह ने सदर बाजार पुलिस थाने पर हमला किया था। अधिकारियों के मुताबिक, ‘इसके बाद से ही जिला प्रशासन ने उन्हें बलपूर्वक हटाने की तैयारियां शुरू की और उन्हें बाहर निकालने की कार्रवाई का 30 मई को पूर्वाभ्यास भी किया था।”

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