भूत और टाइपराइटर, जानिए क्या Netflix की सीरीज बदलेगी देसी हॉरर का मूड…

क्या भूत होते हैं? अगर होते हैं तो वह किस तरह जिंदा इंसान पर काबू पाते हैं? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब अक्सर लोग ढूंढते रहते हैं और इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द फिल्में बनाई जाती हैं. नेटफ्लिक्स पर एक नई वेब सीरीज़ आई है ‘टाइपराइटर’, जो एक बार फिर भूत के अस्तित्व पर सवाल खड़ी करती हैं. सोशल मीडिया पर इस सीरीज़ की तारीफ हो रही है, ऐसे में अगर आप इसे देख रहे हैं तो जानें इसमें क्या-क्या खास है?

 

बतादें की बदला और कहानी जैसी फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर सुजॉय घोष ने ही इस सीरीज का निर्देशन किया है और कहानी भी उन्होंने ही लिखी है. फिल्म में पूरब कोहली, पॉलोमी घोष, समीर कोच्चर लीड रोल में हैं, साथ ही चाइल्ड आर्टिस्ट आरना शर्मा ने भी अहम किरदार निभाया है. पांच एपिसोड की इस सीरीज़ का ये पहला पार्ट है.

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देखा जाये तो गोवा के एक कस्बे में एक बंगला है, जहां एक लेखक रहता था. लेखक भूतों को लेकर किताब लिखता है और अपनी कहानी की तलाश में किसी भी हद तक जा सकता है. इस बीच वह एक रियल कहानी पर काम करता है, लेकिन उसकी मौत हो जाती है. फिर भी किताब लिखी जाती है जिसका नाम है घोस्ट ऑफ सुलतानपुर.

आरना शर्मा की अगुवाई में चार बच्चों का एक ग्रुप जिसे भूतों में काफी दिलचस्पी है, वह उसी किताब के बहाने उस डरावने घर में भूत की तलाश करता है. पांच एपिसोड वाली सीरीज बच्चों, किताब और एक टाइपराइटर के इर्द-गिर्द घूमती रहती है.

देखा जाये तो अक्सर बॉलीवुड में हॉरर फिल्में आत्मा, तांत्रिक के इर्द-गिर्द घूमती हैं कुछ फिल्मों में पुनर्जन्म का लॉजिक भी लगाया जाता है. लेकिन इस सीरीज़ में कुछ नया करने की कोशिश की गई है, बच्चों का एंगल लाकर कहानी को हर किसी से जोड़ने की कोशिश की गई है. लेकिन बच्चों वाला एंगल बीच में भूतनाथ की याद दिलाता है जो बंगले में भूत से मिलता है.

साथ ही साथ सीरीज के नाम की तरह टाइपराइटर का किरदार अहम है, जिसे डायरेक्टर भुनाने में कामयाब रहता है. कुछ हद तक डराने के साथ-साथ जिस तरह से मर्डर मिस्ट्री को क्रिएट किया गया और फिर फ्लैशबैक का इस्तेमाल किया गया वो आपको सीरीज में बांध कर रखता है.कहां चूक गए डायरेक्टर?

सुजोय घोष ने कहानी और बदला जैसी फिल्में बनाई हैं, जिसमें उनकी तारीफ भी हुई है. लेकिन डायरेक्टर इस सीरीज़ में कुछ चूक गए क्योंकि ट्रेलर में जिस तरह फिल्म डराती है वो चीज सभी पांच एपिसोड में दिखती नहीं है. शुरुआत के तीन एपिसोड आपको बांधकर रखेंगे, लेकिन आखिरी दो एपिसोड कुछ तो स्लो लगेंगे.

पूरी सीरीज में जो काम काबिल-ए-तारीफ है वो है सभी कलाकारों की एक्टिंग. फिर चाहे इंस्पेक्टर के किरदार में पूरब कोहली हों या फिर पॉलोमी घोष का जेनी का किरदार. इसके साथ ही जो चौंकाता है वो है ‘घोस्ट क्लब’ यानी बच्चों की टोली. जिसकी अगुवाई आरना शर्मा कर रही हैं, उनकी एक्टिंग के आप फैन हो सकते हैं. उनके कैरेक्टर में भूतों के बारे में जानने की जिज्ञासा और मासूमियत की जो दरकार थी वो उन्हें पूरा करते हैं.

दरअसल खैर, सुजॉय घोष की ये सीरीज लोगों को काफी पसंद आ रही है. अब तक जो हिंदी सिनेमा में हॉरर के नाम पर दिखाया जाता रहा है, उससे इस सीरीज को बेहतर बताया जा सकता है. इसे कुछ हद तक नेटफ्लिक्स का इफेक्ट भी कह सकते हैं.

 

 

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