‘फक्कड़ बाबा’ हर बार चुनावी मैदान में उतर कर आजमाते हैं अपना भाग्य, जानिए उसके इस जुनून की वजह
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हार कर भी नहीं मानी हार-उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में रहने वाले फक्कड़ बाबा रामायणी हर बार चुनावी मैदान में उतर कर अपना भाग्य आजमाते हैं। वह कहते हैं यह निश्चित है कि वह 1 दिन जरूर से जरूर विधायक व सांसद बनेंगे जिसके चलते जैसे ही चुनावी शंखनाद होता है वह चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट जाते हैं।
इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि फक्कड़ बाबा के गुरु मैं उनको देखकर भविष्यवाणी करी थी की फक्कड़ बाबा 20वीं बार निश्चित तौर पर विधायक या सांसद बनने में कामयाब हो जाएंगे तब से वह अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए 16 बार चुनावी मैदान में उतर चुके हैं और 17 वीं बार चुनावी मैदान में उतरने के लिए कमर कस ली है।
उनका मानना है कि अगर वह चुनाव जीते तो उनके जिले में राम राज्य की स्थापना की जाएगी। फक्कड़ बाबा की इस हट को देख कर मथुरा जिले में हर बार चुनावी दौर में इनकी चर्चा होती रहती है और हार कर भी अपने आप को वह जीता मानते हैं और कहते हैं यह निश्चित है कि जब वह 20वीं बार मैदान में उतरेंगे तो उन्हें कोई भी हरा नहीं पाएगा। उन्हें विश्वास है कि गुरुजी की बात सच होकर रहेगी। वो चुनाव जरूर जीतेंगे। भक्त आकर चुनाव के लिए पैसा दे रहे हैं।
फक्कड़ बाबा का कहना है कि वो पहले घर-घर जाकर रामायण का पाठ किया करते थे। अब तक 32000 बार पाठ कर चुके हैं। फक्कड़ बाबा शहर के गलतेश्वर महादेव मंदिर में रहते हैं और इस बार लोकसभा के लिए अखिल भारतीय रामराज्य परिषद ने फक्कड़ बाबा रामायणी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। बाबा नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के पहले दिन 19 मार्च को अपना पर्चा दाखिल करेंगे।
इन दिग्गजों का किया है सामना- लोकसभा सीट मथुरा बेहद ही वीआईपी सीटों में आती है। यहां से तत्कालीन सांसद भाजपा की हेमा मालिनी हैं और इसी सीट से अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी भी सांसद रह चुके हैं। अगर मथुरा लोकसभा सीट पर नजर डाले तो इस सीट से कई ऐसे सांसद निकले हैं जिनका दिल्ली में ठीक-ठाक वर्चस्व रहा है लेकिन फक्कड़ बाबा ने इन लोगों का डटकर सामना किया है।
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वह अलग की बात है कि फक्कड़ बाबा को सिर्फ हार का ही सामना करना पड़ा है लेकिन वीआईपी सीट पर दिग्गजों को टक्कर देना भी और दिग्गजों का सामना करना भी अपने आप में एक बड़ी बात है। यह काम फक्कड़ बाबा ने करके दिखाया है और इस बार भी उन्होंने चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है। नतीजा कुछ भी हो लेकिन चुनौती के लिए फक्कड़ बाबा तैयार हैं। आइए आपको बताते हैं की 1952 से लेकर आज तक क्या स्थिति रही है मथुरा लोकसभा की और किसने और कब जीत हासिल की है।
1952: गिरराज सरण सिंह, निर्दलीय