पाकिस्तान के पीड़ित हिंदुओं को लेकर विश्व हिंदु परिषद ने उठाई ये मांग

नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने मांग की है कि पाकिस्तान के पीड़ित हिंदुओं के धार्मिक, सामाजिक व मानवाधिकारों की रक्षा के साथ उन्हें भारत में नागरिक अधिकार दिए जाएं।

विहिप के केंद्रीय मंत्री (विदेश विभाग) प्रशांत हरतालकर ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार पाकिस्तान में बचे सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए विश्व समुदाय पर दबाव बनाए। स्वतंत्रता से पूर्व जो भू-भाग भारत का अभिन्न अंग था, पाकिस्तान बनने के बाद वहां आज सभी अल्पसंख्यकों की स्थिति अत्यंत्य चिंतनीय बन चुकी है। वहां किसी तरह बचे हिंदुओं की स्थिति आज यह है कि वे न जी सकते हैं और न मर सकते।

उन्होंने कहा कि जिनकी जनसंख्या 16 प्रतिशत थी, गत 6 दशकों में लगातार घटती हुई अब मात्र 2 से 3 प्रतिशत ही बची है। इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, बहाई, अहिमदया व पारसी शामिल हैं। विविध अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के आधार पर पाकिस्तान की 20 करोड़ की अल्पसंख्यक जनसंख्या अब मात्र 60 से 70 लाख ही बची है। 92 प्रतिशत हिंदू आज भी सिंध प्रांत में रहते हैं। 50 से 60 लाख हिंदुओं का जीवन अब भी नारकीय बना हुआ है।

हरतालकर ने कहा कि हर वर्ष लगभग 1200 नाबालिग हिंदू लड़कियों का जबरन अपहरण व धर्मातरण करके उनसे निकाह किया जा रहा है। दुष्कर्म, मंदिरों का टूटना तथा अल्पसंख्यकों से कात बसूली वहां की आम बात है। इन सभी कारणों से हिंदुओं सहित सभी अन्य अल्पसंख्यक पाकिस्तान छोड़ने पर मजबूर हैं।

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6 से 10 लाख पाकिस्तान पीड़ित हिंदू अभी तक भारत में आकर बसे हैं। 7 राज्यों में बसे इन हिंदुओं की सहायता विहिप के माध्यम से 14 अलग-अलग संस्थाओं द्वारा की जा रही है।

उन्होंने कहा कि 2016 में मोदी सरकार ने इन सभी अल्पसंख्यकों के लिए संसद में नागरिकता कानून बनाने का प्रयास किया था।

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