‘पवार, मायावती का चुनाव ना लड़ना राजग की जीत का संकेत’

मुंबई। राकांपा प्रमुख शरद पवार और बसपा अध्यक्ष मायावती का लोकसभा चुनाव ना लड़ना राजग की निश्चित जीत का स्पष्ट संकेत है।

शिवसेना ने शुक्रवार को ये बात दावा करते हुए कहीं, उन्होंने कहा कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन का खेल बिगाड़ देंगी क्योंकि कांग्रेस और मायावती का वोट बैंक एक ही है।

राजग के घटक दल शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा कि पवार और मायावती का चुनाव ना लड़ना इस बात का संकेत है कि नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री के रूप में जीतकर लौटने का रास्ता साफ है।

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘शरद पवार के साथ मायावती ने भी लोकसभा चुनाव ना लड़ने का फैसला किया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वे प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर हैं।’’

मायावती का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा कि वह देशभर में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करना चाहती हैं इसलिए उन्होंने खुद चुनाव ना लड़ने का फैसला किया।

संपादकीय में कहा गया है कि बसपा की मौजूदगी केवल उत्तर प्रदेश में है और चुनाव ना लड़ने के फैसले का मतलब है कि वह चुनाव लड़ने से भाग रही हैं।

‘सामना’ में दावा किया गया कि पवार ने भी माढा लोकसभा सीट से इसी तरह भगाने का रास्ता चुना।

राकांपा प्रमुख पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा कि पवार पूरे विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अपने परिवार और पार्टी सदस्य को एकजुट नहीं कर सके।

शिवसेना ने व्यंग्यपूर्ण ढंग से कहा, ‘‘रंजीतसिंह मोहिते पाटिल का राकांपा छोड़ने और भाजपा में शामिल होने का फैसला पवार के लिए बड़ा झटका है।’’

प्रियंका गांधी वाड्रा पर पार्टी ने कहा, ‘‘साल 2004 में दलित और यादवों ने मोदी के लिए भारी संख्या में वोट दिया था और मायावती का एक भी उम्मीदवार जीत नहीं सका। यह डर उन्हें आज भी सताता है। प्रियंका की ‘पर्यटन’ यात्रा को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और मायावती को डर है कि वह जहां से भी लड़ने का फैसला करेंगी वहां कांग्रेस नेता उनका खेल बिगाड़ देंगी।’’

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संपादकीय में दावा किया गया है कि मायावती को सबसे ज्यादा डर कांग्रेस से है ना कि भाजपा से और यही कारण है कि प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने के कारण वह चुनाव नहीं लड़ रही हैं।

शिवसेना ने कहा, ‘‘ना शरद पवार और ना ही मायावती चुनाव लड़ रही हैं। अत: प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे दो लोग अब दावेदार नहीं रहे। इससे राजग की ताकत साबित होती है।’’

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