देशी हथियारों की इस मंडी में मिलते हैं एक से बढ़कर एक नायाब असलहे

देशी हथियारनई दिल्ली। चंबल के बीहड़ में बसे एक गांव की भट्टी में तपाकर ढल रहे ये देशी हथियार किसी विदेशी हथियार के कम नहीं हैं। इस गांव के कारीगर इतने कुशल हो चुके हैं कि वे विदेशी पिस्टल जैसे हथियारों की हूबहू नकल बनाकर पांच से दस हजार रुपए में आपको उपलब्ध करा देते हैं। इस इलाके की मंडी के बदमाशों का इतना खौफ है, कि पुलिस भी आजतक इस गांव में छापा मारने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाई है।

बता दें, अपराधियों की पहली पसंद यह देशी व अवैध हथियार ही होते हैं। वाजिब दाम पर मिलने वाले हथियारों का उपयोग जरायम की दुनिया में जमकर होता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि इनका पता लगा पाना पुलिस के लिए काफी मुश्किल होता है।

यहां हथियार बनाने वाले कारीगर इतने पारंगत हैं कि वे कंट्री मेड तमंचे के साथ 9 एमएम की पिस्टल और 12 बोर की बंदूक तक सब कुछ कम से कम दामों पर उपलब्ध करा देते हैं। इस गांव का नाम माढ़हन है, जहां लाखों की कीमत वाले हथियार चंद हजार में आसानी से मिल जाते हैं।
इस गांव के कारीगरों ने हथियारों का रेट भी फिक्स कर रखा है। यहां 50 हजार रुपए से लेकर दो लाख रुपए तक की कीमत वाली बंदूकों की एकदम सटीक नकल बनाकर चंद हजार रुपए में उपलब्‍ध करा दी जाती है।

रिपोर्ट के अनुसार, माढ़हन में 9 इंच बैरल वाला देशी कट्टा मात्र 1500 रुपए से लेकर 4000 रुपए तक मिल जाता है। राइफल से छोटा 18 इंच बैरल वाला हथियार,  जिसे पौनी तमंचा कहा जाता है, पांच हजार रुपए में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

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