डोकलम मसले पर पीएम ने किया ऐलान, बस यही है इकलौता तरीका जो ख़त्म कर सकता है सीमा पर विवाद

डोकलम मसले का हलनई दिल्ली। चीन और भारत की सीमा पर संघर्ष की स्थिती है। इस मामले को लेकर दोनों ही देशों में तनाव का माहौल है। करीब दो महीने से सीमा पर चल रहे विवाद को देखते हुए पीएम मोदी ने शनिवार को इस विषय पर एक बयान दिया। दिए गए बयान ने साफ़ कर दिया कि भारत किसी भी कीमत पर चीन से युद्ध नहीं करना चाहता है।

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खबरों के मुताबिक़ उन्होंने कहा कि विश्व भर में समुदायों को विभाजित करने और देशों तथा समाजों के बीच संघर्ष का बीज बोने वाली धार्मिक रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रह को केवल बातचीत के जरिए ही समाप्त किया जा सकता है।

मोदी ने कहा, ‘‘जब आपस में जुड़ा और एक दूसरे पर निर्भर 21वीं सदी का विश्व आतंकवाद से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से जूझ रहा है, मुझे विश्वास है कि इनका हल वार्ता और चर्चा की एशिया की सबसे पुरानी परंपरा के जरिए ही निकलेगा।’’

मोदी ने कहा कि वह प्राचीन भारत की उस परंपरा की उपज है जो जटिल मुद्दे पर बातचीत में विश्वास रखती है। प्राचीन भारत का ‘‘तर्क शास्त्र’’ (वादविवाद) का सिद्धांत बातचीत और वादविवाद पर आधारित है जो कि संघर्ष से बचने और विचारों के आदान प्रदान का मॉडल है।

इसके साथ ही उन्होंने पर्यावरण का जिक्र करते हुए कहा कि मनुष्य को प्रकृति को दोहन करने वाला संसाधन भर नहीं समझना चाहिए बल्कि उससे जुड़ना और उसे सम्मान देना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य प्रकृति का ध्यान नहीं रखता तो प्रकृति अपनी प्रतिक्रिया जलवायु परिवर्तन के रूप में देती है।

मोदी ने कहा कि पर्यावरण कानून और नियंत्रण प्रकृति को बेहद कम सुरक्षा देते हैं और उन्होंने सामंजस्यपूर्ण पर्यावर्णीय चेतना की मांग की।

उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध और भक्त प्रहलाद का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके प्रत्येक कर्म का उद्देश्य धर्म को बनाए रखना था और इसी ने भारतीयों को प्राचीन से आधुनिक समय तक बनाए रखा है।

बता दें प्रधानमंत्री ने यांगून में हो रहे संवाद-ग्लोबल इनीशिएटिव ऑन कॉन्फ्टिक अवॉयडेंस एंड इन्वायरमेंट कॉन्शियसनेस’’ के दूसरे संस्करण के लिए वीडियो संदेश में ये बातें कही।

 

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