जानें आपके आलस्य से आपको होता है कितना नुकसान
हम बचपन से सुनते आये हैं कि हमें रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ही बिस्तर छोड़ देना चाहिए। सुबह जल्दी उठने की परंपरा पुराने समय से ही चली आ रही है और आज भी काफी लोग इसका पालन करते हैं। ब्रह्म का अर्थ है परम तत्व यानी परमात्मा और मुहूर्त यानी शुभ समय।
रात के अंतिम प्रहर यानी सूर्योदय से पहले 4 से 5.30 बजे तक के समय को ब्रह्म मुहूर्त माना गया है। सुबह जल्दी उठना दैनिक जीवन का सबसे पहला और महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये पहला काम सही समय पर होगा तो पूरा दिन सकारात्मक बन सकता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने का सबसे बड़ा लाभ ये है कि इस काम से अच्छी सेहत मिलती है। दरअसल सुबह 4 बजे से 5.30 बजे तक वातावरण शुद्ध रहता है और सांस लेने के लिए ऑक्सीजन अधिक होती है। सूर्योदय के बाद जैसे-जैसे सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने लगती है, वायुमंडल में ऑक्सीजन कम होने लगती है और कार्बन डाईआक्साइड बढ़ने लगती है। ऑक्सीजन हमारे जीवन का आधार है। सुबह जल्दी जागने से हमें दिन की शुरुआत में पर्याप्त और शुद्ध ऑक्सीजन मिल जाती है, जिससे हम कई बीमारियों से बच सकते हैं। दिनभर काम करने के लिए ज्यादा समय मिलता है।
जो लोग सूर्योदय के बाद तक सोते रहते हैं, उन्हें दिनभर आलस्य का सामना करना पड़ता है। मोटापा बढ़ता है और गैस, एसीडिटी, अपच जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं। देर से उठेंगे तो हर काम देर से होगा। काम करने के लिए समय कम मिल पाता है। समय अभाव से सफलता मिलने की संभावनाएं भी कम हो सकती हैं।
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सुबह जल्दी उठकर कुछ देर योग-व्यायाम करना चाहिए। ताजी हवा में किए गए व्यायाम से शरीर को ऊर्जा मिलती है। सांस से संबंधित रोगों से बचाव होता है। त्वचा की चमक बढ़ती है। सुबह-सुबह किए गए मेडिटेशन से हमारी बुद्धि तेज होती है। क्रोध पर काबू कर पाते हैं। मन शांत और स्थिर होता है।