जानिए भारत की अमेरिका को हुए दो टूक- GSP के मोहताज नहीं हैं हम…
भारत ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिका के जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंसेज (GSP) का मोहताज नहीं है और अपने निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने में सक्षम है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत अब इस तरह की तरजीही व्यवस्था पर जोर नहीं देगा और अपने निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने की कोशिश करेगा.
वहीं गौरतलब है कि पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जीएसपी के विशेष व्यापार कार्यक्रम से भारत का नाम हटाने की घोषणा की थी. यह 5 जून से लागू हो गया है.
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यूएस ने कहा था कि भारत ने उसे अपने बाजार में बराबरी और तार्किकता पर आधारित पहुंच के लिए आश्वस्त नहीं किया. भारत ने अमेरिका के इस कदम को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया था. अमेरिका में जीएसपी खत्म होने का मतलब यह हुआ कि भारत अब जिन प्रोडक्ट को अमेरिका में बेचेगा उन सभी पर वहां की सरकार टैक्स लगाएगी. अब तक भारत बिना टैक्स के कुछ प्रोडक्ट का निर्यात करता है.
बता दें की अमेरिका के इस कदम को द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से बड़ा झटका माना जा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के केमिकल्स और इंजिनियरिंग जैसे सेक्टरों के करीब 1800 से ज्यादा छोटे-बड़े प्रोडक्ट पर जीएसपी का फायदा मिलता था.
वहीं भारत जीएसपी के सबसे बड़े लाभार्थियों में से था और इसके तहत अमेरिका को पिछले साल 6.35 अरब डॉलर (करीब 44 हजार करोड़ रुपये) के सामान का निर्यात किया गया था.
देखा जाये तो निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्स्पोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के अनुसार, 2018 के दौरान भारत ने अमेरिका को कुल 51.4 अरब डॉलर का निर्यात किया. लेकिन जीएसपी योजना के तहत भारत ने अमेरिका में 6.35 अरब डालर का निर्यात किया. इस प्रकार व्यापक स्तर पर जीएसपी का लाभ वापस लेने से हमारे निर्यात पर नाममात्र का प्रभाव पड़ेगा.
हालांकि, जिन वस्तुओं के निर्यात में 3 फीसदी या इससे अधिक का जीएसपी लाभ मिलता है उन वस्तुओं के निर्यातकों को जीएसपी नुकसान की भरपाई करना मुश्किल होगा. भारतीय निर्यातकों के मुताबिक, अमेरिका के इस फैसले से कुल निर्यात पर खास असर नहीं होगा, लेकिन पांच क्षेत्रों के निर्यात पर विपरीत असर पड़ेगा.
जहां इनमें चमड़ा उत्पाद, नकली आभूषण, फार्मा, रसायन एवं प्लास्टिक एवं कृषि शामिल हैं. अमेरिका के ट्रेड रिप्रजेंटेटिव के मुताबिक साल 2018 में भारत को जीएसपी के तहत कुल 26 करोड़ डॉलर का फायदा हुआ था.