जानिए खतरनाक स्तर पर वायु प्रदूषण बढ़ रहा हैं वायु प्रदुषण, भारत समेत इन देशों के बच्चों की औसत आयु में कमी…

नई दिल्ली : भारत समेत दुनिया के कई देशों में वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 10 में से नौ लोग प्रदूषित वायु में सांस ले रहे हैं। जबकि केवल भारत में साल 2016 में 15 वर्ष से छोटे 6 लाख बच्चों की श्वास नली के संक्रमण के कारण असमय मौत हो गई थी।

 

 

प्रदुषण

 

 

बता दें की हुए एक शोध में यह दावा किया गया है कि वर्तमान में जन्म लेने वाले बच्चों की औसत आयु 20 महीनों तक कम हो गई है। इसका प्रमुख कारण वायु प्रदूषण बताया गया है। इससे सबसे ज्यादा पीड़ित देशों में दक्षिण एशियाई राष्ट्र जैसे भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल हैं। जहां दक्षिण एशियाई देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर श्रेणी तक पहुंच गई है। शोध के अनुसार इन दोनों देशों में बच्चों की उम्र में 30 महीने तक की कमी आ सकती है।

 

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वहीं एक और रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मानव जीवन को जिन कारकों से सबसे ज्यादा खतरा होता है उसमें वायु प्रदूषण पांचवे स्थान पर काबिज है। इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा सड़क दुर्घटना में मरने वालों से कहीं ज्यादा है।

 

 

लेकिन शेषज्ञों के अनुसार, मानव शरीर पर प्रदूषित हवा का सबसे ज्यादा असर होता है। दुनिया के कई शहरों की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि वहां सांस लेना सैकड़ों सिगरेट पीने के बराबर हो गया है। वायु प्रदूषण के कारण साल 2017 में विश्व भर में 50 लाख लोगों की जान चली गई थी। जिसमें आधे से ज्यादा केवल भारत और चीन से थे।

 

चीन ने वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में बहुत काम किया है जिसका असर अब देखने को भी मिल रहा है। चीन की राजधानी बीजिंग में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए  19 अरब युआन (तीन अरब डॉलर) खर्च करने की योजना बनाई गई है।

 

2018 की बीजिंग बजट रिपोर्ट के अनुसार बजट राशि को कोयला, वाहनों और धूल जैसे प्रदूषणकारी स्रोतों को नियंत्रित करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कोयला के स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग संबंधी परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा।

 

दरअसल 2017 में दुनिया भर में गंभीर बीमारियों से लगभग 50 लाख लोगों की मौत हुई। जिसमें भारत के 12 लाख लोगों की मौत शामिल थी। यूएस हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की वायु प्रदूषण पर एक वैश्विक रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019’ में भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के बारे में चेताया गया है।

 

 

शोध में इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया है कि प्रदूषण के कारण पैदा हो रहे स्वास्थ्य संबंधी खतरों से वर्तमान में पैदा होने वाले बच्चों की औसत आयु में 20 महीने की कमी होगी। इसका सबसे बड़ा कारक प्रदूषण और धुम्रपान है। भारत में अभी भी 60 फीसदी से ज्यादा लोग खाना बनाने के लिए लकड़ी और कोयला जैसे ठोस ईंधन का प्रयोग कर रहे हैं।

 

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