दिल्ली हाईकोर्ट ने मोदी के कांधों पर छोड़ा जाधव रिहाई का सारा दारोमदार

जाधव की रिहाईनई दिल्ली| दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पाकिस्तान में मौत की सजा पाए कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का रुख करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

जाधव की रिहाई

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल तथा न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की एक खंडपीठ ने जाधव की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों में दखलंदाजी करने से इनकार कर दिया।

पीठ ने कहा, “नागरिक (जाधव) की जान बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं..बेहतर यही होगा कि हम मुद्दे को सरकार की विशेषज्ञता पर छोड़ दें। हमारे द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।”

याचिका में कहा गया था कि भारतीय नागरिक (जाधव) को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा उनके मामले की निष्पक्ष सुनवाई किए बिना गलत तरीके से उन्हें मौत की सजा सुना दी गई।

न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता राहुल शर्मा ने कहा कि पाकिस्तान ने जाधव के खिलाफ आरोपपत्र तथा उन्हें मौत की सजा सुनाने के फैसले को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। अपनी याचिका में उन्होंने मांग की कि भारत सरकार मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाकर पाकिस्तान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कानून के उल्लंघन को चुनौती दे।

जाधव को 10 अप्रैल को मौत की सजा सुनाई गई। उन पर जासूसी तथा पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने सहित सात आरोप लगाए गए। इस्लामाबाद जाधव को राजनयिक संपर्क प्रदान करने के लिए भारतीय दूतावास के अनुरोध को कई बार खारिज कर चुका है।

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