डीवीसी का कोल इंडिया पर आरोप, ख़राब कोयला बना नुकसान की वजह

कोल इंडियाकोलकाता। प्रमुख बिजली कंपनी दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) ने खराब गुणवत्ता वाले कोयले को भारी नुकसान का कारण बताते हुए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से बेहतर गुणवत्ता वाले कोयले की मांग की है।

डीवीसी के एक अधिकारी के मुताबिक, डीवीसी और अन्य बिजली कंपनियों ने पिछले साल अगस्त में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अधीन ‘केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान’ (सीआईएमएफआर) से लदान के समय तीसरे पक्ष से परीक्षण कराए जाने का त्रिपक्षीय करार किया था।

हर साल करीब दो करोड़ टन कोयला खरीदने वाली डीवीसी, सीआईएल की सहायक कंपनियों ‘भारत कोकिंग कोल लिमिटेड’ (बीसीसीएल), ‘सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड’ (बीसीसीएल) और ‘महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड’ (एमसीएल) से कोयला खरीदती है।

डीवीसी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “अब तक सीआईएमएफआर द्वारा सौंपे गए कोयले के अधिकतम नमूनों के परीक्षण में कई ग्रेड्स की कमी पाई गई है। नवंबर और दिसंबर 2016 के कोयले के नमूनों के परीक्षण में बीसीसीएल के ग्रेड में सर्वाधिक कमी (98 प्रतिशत) पाई गई, जिसके बाद सीसीएल में (84 प्रतिशत) और एमसीएल में (61 प्रतिशत) पाई गई। सीआईएमएफआर ने ईसीएल के कोयले के नमूनों के परीक्षण का परिणाम अब तक नहीं सौंपा है।”

अधिकारी ने कहा, “सीआईएमएफआर द्वारा पेश किए गए परीक्षण परिणामों में कुल 78 प्रतिशत ग्रेड की कमी पाई गई है।”

अधिकारी ने बताया कि हालांकि कोयला कंपनियों ने परीक्षण के परिणामों को चुनौती दी है।

अधिकारी ने कहा, “हमारे विद्युत केंद्रों पर भी उसी खेप के नमूनों का परीक्षण किया गया था और उसका परिणाम सीआईएमएफआर के परिणाम से मेल खाता है। लेकिन कोयला कंपनियां परीक्षण के परिणामों को अस्वीकार करते हुए इसे चुनौती दे रही हैं।”

अधिकारी ने कहा कि डीवीसी के विद्युत केंद्रों को जो कोयला भेजा गया, उसमें पत्थरों के कण पाए गए।

निरंतर प्रयास के बावजूद सीआईएल के अधिकारियों ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।

अधिकारी ने कहा, “बुनियादी ढांचे और सहायक स्थितियों के अभाव के कारण भी नमूनों के परीक्षण का काम प्रभावित हो रहा है, जो कि कोयला कंपनियों द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए।”

अधिकारी ने कहा कि खराब गुणवत्ता के कारण डीवीसी की ऊर्जा लागत बढ़ रही है।

अधिकारी ने कहा कि सीआईएमएफआर के कई परीक्षणों को कोयला कंपनियों से मिल रही चुनौती के कारण नमूनों को परीक्षण के लिए नामित प्रयोगशालाओं में भेजा गया है।

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