कोरोना का नया वैरियंट AY-4 है ज़्यादा संक्रामक, वैक्सीनेशन के बाद भी है संक्रमण का ख़तरा

कोरोना के डेल्टा वैरिएंट का नया स्वरूप AY-4 सामने आया है। इंदौर के सात मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग में इस वैरिएंट की पुष्टि की गई है। इसके नेचर को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, क्योंकि फिलहाल दुनिया भर में इस वैरिएंट पर रिसर्च चल रही है। एक्सपर्टस की माने तो इस वैरिएंट की संक्रामक क्षमता पुराने वैरिएंट से क़ाफ़ी तेज़ है।

पहले महाराष्ट्र, अब इंदौर में मिला यह नया वैरिएंट

नए वैरिएंट AY-4 की जानकारी सबसे पहले अप्रैल महीने में महाराष्ट्र में मिली थी। हालांकि इंदौर में जो संक्रमित मरीज मिले हैं वो अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं और न तो इन्हें किसी तरह का को कोई खतरा है और न ही इनसे किसी को कोई खतरा है। नोडल अधिकारी डॉ. अमित मालाकार के मुताबिक सभी मरीज पूरी तरह सुरक्षित हैं और फिलहाल AY-4 वैरिएंट को लेकर घबराने जैसी कोई स्थिति नहीं है।

वैक्सीनेशन के बाद भी है संक्रमण का ख़तरा, लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं

डॉ. रवि डोसी ने बताया की AY-4 वायरस का इन्फेक्टिविटी (संक्रामकता) रेट काफ़ी ज्यादा है। इसलिए लोगों को ज़यादा सावधानी बरतनी चाहिए, और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। लोगों को मास्क पहने रखने की और सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रखने की ज़रूरत है। जो लोग इस वैरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं उन्हें फौरन कोविड सेंटर में क्वारैंटाइन कराना चाहिए। डॉ. डोसी ने बताया की नए वैरिएंट के बारे में कुछ भी कहना अभी बहुत जल्दबाज़ी होगी, लेकिन डेल्टा वैरिएंट की तरह इस वैरिएंट में भी वैक्सीन लगवाने के बाद भी इन्फेक्शन होने का ख़तरा हैं। नए वैरिएंट को पूरी तरह समझने के बाद ही उसका प्रोटोकॉल तय होगा।

डॉ. वीपी पांडे (एओडी, मेडिसिन, एमवायएच) ने बताया की चुँकि समय के साथ वायरस का नेचर बदलता है इसलिए हर वायरस के नए वैरिएंट आना एक प्रक्रिया है। लोगों को घबराने की नहीं जागरूक रहने की ज़रूरत है और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना और वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है।

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