अदम्‍य साहस और बहादुरी का दूसरा नाम थे कैप्‍टन मनोज पाण्‍डेय

कैप्‍टन मनोज पाण्‍डेयलखनऊ । हम अपने देश में सुरक्षित है क्योंकि हमारे वीर सैनिक देश और हमारी रक्षा के लिए सीमाओं पर अपने प्राणों का बलिदान करते हैं। हमारा कर्तव्य है कि देश पर जान न्यौछावर करने वाले शहीदों को हम याद करें तथा समाज उनके परिवार के प्रति अपने कर्तव्य को समझे।यह बातें रविवार को यूपी के राज्‍यपाल राम नाईक ने सैनिक स्‍कूल लखनऊ में छात्रों एवं वहां उपस्थित लोगों से कही। राज्‍यपाल यहां कारगिल युद्ध में शहीद परमवीर चक्र से सम्‍मानित कैप्‍टन मनोज पाण्‍डेय की 17 वीं पुण्‍यतिथि पर आयोजित श्रद्धां‍जलि सभा कार्यक्रम में आये थे। श्री नाईक ने यहां शहीद कैप्‍टन के चित्र पर श्रद्धाशुमन अर्पित किए।

श्रद्धांजलि सभा का आयोजन परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय वेलफेयर सोसायटी द्वारा किया गया था। राज्यपाल ने इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल लखनऊ व रानी लक्ष्मी बाई मेमोरियल स्कूल के मेधावी छात्रों को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह व रूपये 5,100 नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया। श्रद्धांजलि सभा में शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय की माता श्रीमती मोहिनी पाण्डेय, पिता गोपीचन्द्र पाण्डेय, परिजन, लखनऊ के महापौर दिनेश शर्मा, ले.जनरल आर.पी. शाही ए.वी.एस.एम. (अवकाश प्राप्त), ले.जनरल ए.के. मिश्रा ए.वी.एस.एम. (अवकाश प्राप्त)  सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण व विशिष्ट नागरिक उपस्थित थे।

इस अवसर पर राज्‍यपाल ने कहा कि कैप्टन मनोज पाण्डेय ने देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर करके जो शौर्य और पराक्रम दिखाया है वह अभूतपूर्व है। कैप्टन मनोज पाण्डेय ने जिस प्रकार की वीरता दिखायी उससे देश ने युद्ध तो जीत लिया मगर शेर खो गया। उन्होंने कहा कि ऐसे शूरवीरों को नमन करना चाहिए। श्री नाईक ने उपस्थित छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि कैप्टन मनोज पाण्डेय को आदर्श मानकर लक्ष्य तय करें तथा उसे प्राप्त करने की कोशिश करें।

श्री नाईक ने कहा कि कारगिल की लड़ाई के समय वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमण्डल में पेट्रोलियम मंत्री थे। कैबिनेट में उनके द्वारा सुझाव रखा गया कि कारगिल में शहीद होने वाले सैनिकों के परिवार को सरकारी खर्च पर पेट्रोल पम्प व गैस एजेन्सी आवंटित की जाये। इस दृष्टि से 439 परिवारों को गैस एजेन्सी व पेट्रोल पम्प दिये गये। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का संतोष है कि वे शहीदों के परिजनों के लिये कुछ कर सके।

कैप्‍टन मनोज पाण्‍डेयमहापौर दिनेश शर्मा ने कहा कि मनुष्य यदि मृत्यु के उपरान्त समाज की स्मृति में जिये तो यह उसके कृत्य की बात है। कैप्टन मनोज पाण्डेय ने देश के लिए बलिदान दिया और यह उसका एक उदाहरण है। कैप्टन मनोज ने लखनऊ का नाम शहीद परिवारों की श्रृंखला में जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे शूरवीरों के शौर्य को नयी पीढ़ी तक पहुँचाया जाये। श्रद्धांजलि सभा में ले.जनरल आर.पी. शाही ए.वी.एस.एम. (अवकाश प्राप्त), ले.जनरल ए.के. मिश्रा ए.वी.एस.एम. (अवकाश प्राप्त) सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।

वहीं लखनऊ कैंटोनमेंट में रेस कोर्स स्थित मनोज पाण्‍डेय चौक पर सैनिकों ने शहीद कैप्‍टन मनोज पाण्‍डेय को याद किया। यहां गोरखा रे‍जीमेंट ने श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था। शहीद दिवस कार्यक्रम में 11 गोरखा रेजीमेंट के ब्रिगेडियर पंकज सिंह तथा शहीद पाण्‍डेय के माता-पिता उपस्थित थे।

शहीद कैप्‍टन मनोज पाण्‍डेय का जन्‍म सीतापुर जिले के रुधा गांव में मध्‍यम परिवार में हुआ था। उन्‍होने लखनऊ के सैनिक स्‍कूल से पढ़ाई की और नेशनल डिफेंस अकादमी परीक्षा पास कर सेना में भर्ती हुए। जून 1997 में उन्‍हे 1/11 गोरखा राईफल्‍स का चार्ज दिया गया। पाकिस्‍तान से हुए कारगिल युद्ध में कैप्‍टन मनोज पाण्‍डेय ऑपरेशन विजय के प्‍लाटून कमांडर थे और अदम्‍य साहस और बहादुरी से लड़ते हुए 3 जुलाई 1999 को देश के लिए शहीद हो गए। मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्‍हे सर्वोच्‍च सैनिक सम्‍मान परम वीर चक्र से सम्‍मानित किया। देश में अब तक 21 लोगों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है जिसमें कारगिल युद्ध के 4 वीरों को परमवीर चक्र, 9 वीरों को महावीर चक्र तथा 27 वीरों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

शहीद कैप्‍टन मनोज पाण्‍डेय की पर्सनल डायरी में लिखे शब्द ‘मेरा बलिदान सार्थक होने से पहले अगर मौत दस्तक देगी तो संकल्प लेता हूं कि मैं मौत का भी कत्ल कर दूंगा’ पढ़कर ही शरीर के रोएं हरकत में आ जाते हैं।

LIVE TV