नोटबंदी के बाद सरकारी कर्मचारियों पर मोदी हुए मेहेरबान, नहीं देना होगा कोई हिसाब

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए राहतनई दिल्ली। मोदी सरकार की तरफ से केंद्रीय कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर सामने आयी है। केंद्रीय कर्मचारियों की ओर से संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा देने वाली समयसीमा को केंद्र सरकार ने अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया है। पहले यह तारीख 31 दिसंबर तय की गई थी। बता दें कि लोकपाल कानून के प्रावधान के तहत केंद्रीय कर्मचारियों अपनी संपत्ति का हिसाब किताब देना अनिवार्य होता है। सरकार इस संबंध में नया प्रारूप तैयार करने में जुटी हुई है जिस पर लगभग काम पूरा हो चुका है।

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों को अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्यौरा देने की समयसीमा बढ़ा दी गई है। केंद्र सरकार इस संबंध में नयी नियमावली तैयार कर रही है जो कि अपने अंतिम चरण में है। इन नियमों को एक तय प्रारूप और समस सीमा में अधिसूचित किया जाएगा जिसके तहत सरकारी नौकरशाह लोकपाल अधिनियम के संशोधित प्रावधान के तहत ही अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्यौरा दे सकेंगे।

बता दें कि देश में लगभग 50.68 लाख केंद्रीय कर्मचारी हैं। जिन्हे लोकपाल कानून के नियमों के तहत हर साल 31 मार्च को अथवा 31 जुलाई तक अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्यौरा देना होता है। नये आदेश में कहा गया है कि सभी सरकारी नौकरशाह नए नियमों के तहत ही संपत्तियों और देनदारियों का ब्यौरा दे सकेंगे। जिनके लिए समयसीमा में छूट दी गई है।

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