काशी गया ऋषिकेश में वैदिक ब्राह्मण कोरोना खात्मा के लिए कर रहे अनुष्ठान

दूर से हाथ जोड़कर प्रमाण करना, घर के बाहर जूता-चप्पल उतारना, बाहर से आकर हाथ-पांव धोना और हर विपत्ति को दूर करने के लिए जप-तप करना। सनातन संस्कृति का यह सभी हिस्सा रहा है। कोरोना महामारी ने दुनिया को उसी सनातन संस्कृति को अपनाने को मजबूर कर दिया है। विश्व का हर देश सनातन संस्कृति को अपना रहा है। दवा की खोज चल रही है। इसके बीच दुआओं का दौर भी जारी है। कोरोना संक्रमण को आसुरी महामारी मानते हुए दैवीय शक्ति के जरिए उससे मुक्ति की कामना हो रही है। इसके लिए दुनिया भारत पर आश्रित है। विश्व के 157 देशों के 50 से अधिक लोग  स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए जप करवा रहे हैं।

जप-तप हर देश में गुप्त रूप से चल रहा है। भारत में प्रयागराज अनुष्ठान का केंद्र है। विश्व को कोरोना महामारी से मुक्त कराने को 157 देशों में स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए अप्रैल महीने में अनुष्ठान आरंभ हुआ। परंतु वहां उपयुक्त माहौल न मिलने पर भारत में जून से अनुष्ठान आरंभ कराया गया। प्रयागराज में सात सौ से अधिक ब्राह्मण जप व अनुष्ठान में लीन हैं। जबकि काशी, गया, ऋषिकेश में सौ से दो सौ वैदिक ब्राह्मण अनुष्ठान कर रहे हैं। ब्राह्मण प्रतिदिन जप व रुद्राभिषेक करते हैं। महर्षि महेश योगी आश्रम प्रयागराज के प्रबंधक आचार्य बसंत दास व सुनील श्रीवास्तव बताते हैं कि लेबनान के डॉ. टोनी नेडर को महॢष महेश योगी ने राजा राम की उपाधि दी थी। पूरे विश्व में उन्हीं की देखरेख में कोरोना का अंत करने के लिए गुप्त अनुष्ठान चल रहा है।  

कोरोना महामारी नाश संकल्प से होता है जप

अनुष्ठान का नेतृत्व कर रहे आचार्य रामजस द्विवेदी बताते हैं कि कोरोना महामारी का नाश करने का संकल्प लेकर माह में 15-15 दिनों का अनुष्ठान किया जाता है। प्रतिदिन एक ग्रह के नाम का जप होता है। दसवें दिन महामृत्युंजय जप, 11वें दिन आदित्य हृदय श्रोत का पाठ, 12वें व 13वें दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ, 14वें दिन अमोघ शिव कवच व इंद्राक्षी स्तोत्र का पाठ। 15वें दिन नरसिंह कवच, पंचमुखी हनुमान कवच, गजेंद्र मोक्ष, धनवंतरी स्तोत्र कवच का पाठ किया जाता। इसके बाद पुन: नवग्रह से प्रक्रिया आरंभ होती है।

पांच घंटे चलता है जप

ब्राह्मण प्रतिदिन सुबह छह से 11 बजे तक जप करते हैं। इसके बाद रुद्राभिषेक होता है।

अधिकतर हैं व्यवसायी

कोरोना को खत्म करने का अनुष्ठान कराने वालों में अधिकतर देशों के बड़े व्यवसायी शामिल हैं। प्रवासी भारतीय के साथ हर देश के अलग-अलग धर्मों के लोग अनुष्ठान करवा रहे हैं।

आसुरी शक्तियों का होता है नाश : डॉ. बिपिन

विश्व पुरोहित परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिपिन पांडेय बताते हैं कि मंत्र सावकि, शुद्ध और आलौकिक हैं। उसका उच्चारण करने से आसुरी शक्तियों का नाश व दैवी शक्ति व ऊर्जा का संचार होता हैं। विज्ञान मंत्रों की शक्ति को अनेक प्रयोगों से सिद्ध कर चुका है। आज कोरोना संक्रमण के खात्मा में जप की सार्थकता सिद्ध हो रही है।

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