उत्तरप्रदेश की इस बेटी को सलाम, बिना हाथ के लिखी अपनी तकदीर

WhatsApp-Image-20160505 (16)मुजफ्फरनगर। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, सिर्फ हौसलों से उड़ान होती है। इस बात को चरितार्थ किया है मुजफ्फरनगर की इस दिव्यांग बेटी ने, जिसने हाथ ना होते भी कभी हिम्मत नहीं हारी आैर वो करिश्मा कर दिखाया, जिसे सुनकर हर कोई हैरत में पड़ जाता है।

WhatsApp-Image-20160505 (17)जनपद के थाना शाहपुर क्षेत्र के गांव कसेरवा की रहने वाली हलीमा नाम की ये छात्रा जन्म से ही दिव्यांग है, मगर इसने आज तक अपनी इस कमी को करियर में कभी रोड़ा नहीं बनने दिया। हलीमा बड़ी होकर टीचर बनने का सपना साकार करने में लगी हैं। हलीमा हाथ न होने की वजह से अपने पैरों से लिखती हैं। पैरों से करती है सारे काम इतना ही नहीं वह अपने घर के सारे काम भी पैरों से ही कर लेती हैं। गरीब परिवार में जन्मी हलीमा ने राष्ट्रीय इंटर काॅलेज शाहपुर से इंटर किया। इसके बाद स्वामी कल्याण देव डिग्री काॅलेज से वह बीए कर रही थीं, मगर आर्थिक कमजोरी ने उनकी शिक्षा को प्रभावित किया। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है। आज तक नहीं मिली सरकारी सहायता दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर हलीमा को आज तक सरकारी सहायता नहीं मिली है।

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बीमारी के चलते उनके पिता भी दुनिया छोड़ चुके हैं। लेकिन हलीमा का जज्बा कम नहीं हुआ और आज वह मुजफ्फरनगर के श्री राम ग्रुप ऑफ काॅलेज से LLB कर रही हैं। हालांकि, फीस जमा न कर पाने की वजह से उनका काॅलेज से नाम कटने तक की नौबत आ गई लेकिन काॅलेज के डायरेक्टर डॉ. एससी कुलश्रेष्ठ ने उसकी आर्थिक कमी को दूर कर दिया। समाजसेवियों ने की मदद छात्रा हलीमा की मदद के लिए गांव कसेरवा व आसपास के गांवों के समाजसेवियों ने भी हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया है। गांव कसेरवा में जिला पंचायत सदस्य अथर चौधरी के आवास पर पहुंचे गांव जौला निवासी
जिला पंचायत सदस्य जब्बार चौधरी ने भी उसकी आर्थिक मदद कर उसे हर संभव मदद देने का आश्वासन
दिया है।

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