इस फोटो को देख दर्द से कराह उठेंगे आप, फोटोग्राफर ने भी कर लिया था सुसाइड….

कई बार आपकी जिंदगी में ऐसे लम्हें आते हैं, जिन्हें आप काफी कोशिश करने के बाद भी नहीं भूल पाते। ऐसा ही कुछ हुआ मशहूर फोटो जर्नलिस्ट केविन कार्टर के साथ।

हम आपको कार्टर के उस फोटोशूट के बारे में बता रहे हैं, जो उनकी जिंदगी का आखिरी फोटोशूट था। इस फोटो ने उन्हें इस कदर दुखी कर दिया कि उन्होंने एक खौफनका कदम उठा लिया।

फोटो को देख दर्द से कराह

जिंदगी का आखिरी फोटोशूट हुआ साबित

साउथ अफ्रिकन फोटो जर्नलिस्ट केविन कार्टर ने मार्च 1993 में साउथ सूडान जाकर फोटोशूट किया। लेकिन ये फोटोशूट शायद उनकी जिंदगी का आखिरी फोटोशूट था।

क्योंकि साउथ सूडान के दर्दनाक मंजर ने उन्हें इस हद तक दुखी कर दिया कि तीन महीने बाद केविन कार्टर ने सुसाइड कर लिया।

भूख से तपड़ रही बच्ची रेंगती रही, ताक में बैठा था गिद्ध

यह फोटो साउथ सूडान में भुखमरी से जूझ रही एक बच्ची की थी, जोकि अपने माता पिता की झोंपड़ी की ओर रेंगकर जाने की कोशिश कर रही थी। माता—पिता खाना ढूंढने जंगल गए हुए थे। भूख ने उस बच्ची को बेदम कर रखा था।

एक गिद्ध उसकी ताक में बैठा था, जोकि उसके मरने का इंतजार कर रहा था। केविन ने लिखा कि उन्होंने 20 मिनट तक उस गिद्ध के वहां से उड़ने का इंतजार किया और जब वो नहीं उड़ा तो उन्होंने ये फोटोग्राफ क्लिक किया।

इस फोटो ने केविन को पुलिट्जर प्राइज जिताया। यह प्राइज जीतने के तीन महीने बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।

फोटो प्रकाशित होने के बाद लोगों ने उठाए सवाल

वापस आकर केविन कार्टर ने इस फोटो को न्यू यॉर्क टाइम्स को बेच दिया। यह फोटो पहली बार 26 मार्च 1993 को New York Times में प्रकाशित हुआ था। फोटो का केप्शन था ”metaphor for Africa’s despair”।

फोटो के प्रकाशित होते ही लाखों लोगों ने केविन कार्टर से इस इथोपियाई बच्ची के बारे में हजारों सवाल किए। कईयों ने उस पर यह आरोप भी लगाए कि उसने उस समय फोटो खींचना ज्यादा उचित समझा, जबकि वह उस रेंगती हुई बच्ची को बचा सकते थे।

तीन महीने बाद कर ली आत्महत्या

खौफनाक है इस आइलैंड की कहानी, जो कोई भी गया वापस नहीं आया…

केविन को हमेशा उस इथोपियाई बच्ची की याद आती रही।

लोगों के सवाल और उलाहने उनको परेशान करते रहे। उनको यह ग्लानी और अपराध बोध सताता रहा कि उन्होंने उस बच्ची को बचाने की पूरी कोशिश नहीं की और न ही यह देख पाए कि वो जिंदा रही या मर गई।

अपराध बोध और ग्लानी में वह परेशान हो गए। करीब तीन महीने बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली।

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