वीसी ने कहा- मुझे छुट्टी दो, बीजेपी सांसद को बनाओ कुलपति

इलाहाबाद यूनिवर्सिटीइलाहाबाद: केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति ने हमला बोल दिया है। कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू ने मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी को निशाना बनाते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में केंद्र सरकार जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप कर रही है।

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में चल रहा था हंगामा

पिछले कई दिनों से यूनिवर्सिटी के अन्दर आफलाईन और आनलान के विवाद में जमकर हंगामा हो रहा है। छात्रों का परिसर में ही 6 दिनों तक आमरण अनशन चला इस दौरान पुलिस ने लाठी चार्ज किया जिसमें कई छात्र घायल हुए। यह विवाद दिल्ली पहुंचा तो कुलपति को तलब किया गया।

कुलपति हांगलू ने कल देर शाम इस बात की घोषणा कर दी कि आनलाइन के साथ आफलाइन का भी विकल्प छात्रों को मिलेगा। इनकी इस घोषणा के बाद छात्रों ने आमरण अनशन तोड़ा।

मानव संसाधन मंत्रालय से पीजी में ऑफलाइन आवेदन की अनुमति को गलत मानते हुए कुलपति ने कहा कि अच्छा होगा कि किसी बीजेपी एमपी को ही सरकार कुलपति बना दे और उन्हें रिलीव कर दे।

यूनिवर्सिटी में चल रहे हंगामे को लेकर कुलपति प्रो. हांगलू ने बीजेपी के सांसदों, मंत्रियों और एसपी के विधायकों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि गलत तरीके से फंड लेने के लिए चार छात्रनेता दबाव बना रहे थे।

प्रो. हांगलू ने कहा कि इन छात्रनेताओं का समर्थन बीजेपी के मंत्रियों और सांसदों ने किया। मानव संसाधन मंत्री से छात्रनेताओं की बात कराई गई और उन्हें मिलवाया गया। यह केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला है।

नाराज प्रो. हांगलू ने कहा “ राज्य के शीर्ष नेताओं द्वारा बताया जाता है कि सपा के कई जिलों के पदाधिकारी उनके घर पर पत्थर फेंकने और घेराव के लिए पहुंचने वाले हैं। यह राजनीति नहीं तो क्या है। मैं सपना लेकर आया था कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को आगे ले जाऊंगा। लेकिन उन्हें काम करने ही नहीं दिया जा रहा है। ऑफलाइन मुद्दे पर मंत्रालय के दखल की जरूरत नहीं थी। इससे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को बहुत धक्का लगा है”।

मानव संसाधन मंत्रालय के दखल से खफा कुलपति हांगलू ने कहा कि एक लाख 29 हजार लोग सोमवार तक ऑनलाइन आवेदन कर चुके थे। ऐसे में किसी भी हिसाब से ऑफलाइन की जरूरत नहीं थी। बीजेपी के नेताओं ने इस मामले को हवा तो दी ही थी लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए छात्र नेताओं की मदद सरकार और मंत्रालय ने की।

कुलपति ने कहा कि सरकार के कहने पर पीजी और क्रेट की परीक्षा ऑनलाइन कराने का फैसला हुआ था। अब मंत्रालय ने राजनैतिक लाभ के चलते ने ही इसे वापस लेने का आदेश दिया है। यह किसी संस्था की स्वायत्ता पर हमला जैसा है। ऐसे माहौल में काम करना मुनासिब नहीं है। वह खुद अपना विरोध मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी से मिलकर जताएंगे।

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