पहले माथे पर ‘उगाई’ नाक, फिर चेहरे पर लगाई

इंदौर इंदौर | मध्यप्रदेश के इंदौर में चिकित्सकों के दल ने चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है, नाक विहीन हो चुके एक बच्चे के माथे पर उगाई गई नाक सफलतापूर्वक उसके चेहरे पर लगाई गई है।

उज्जैन के मताना गांव का अरुण पटेल (12) जब तीन माह का था, तब उसकी नाक अचानक गलने लगी थी और धीरे-धीरे खत्म हो गई। इससे उसका चेहरा कुरूप हो गया। अरुण के परिजनों ने उसके चेहरे को सुंदर बनाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी करने का मन बनाया और वे इंदौर आए।

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अरुण का उपचार करने वाले चिकित्सकों के दल के सदस्य डॉ. अश्विनी दास के मुताबिक, अरुण के चेहरे पर नाक लगाना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। उसकी रायनोप्लास्टी नहीं की जा सकती थी, लिहाजा उसके के मांस से नाक बनानी पड़ी। इसके लिए पहले माथे पर सिलिकॉन की थैली रखी गई, उसके बाद टिशू का विस्तार किया गया। यह थैली लगभग तीन माह तक उसके माथे पर लगी रही।

डॉ. दास के अनुसार, छाती के निचले हिस्से से कुछ कार्टिलेज निकाली गई और इससे अरुण के चेहरे के मुताबिक नाक तैयार की गई और इसे माथे पर बनाई गई जगह पर स्थापित किया गया। इस नाक को तीन माह तक माथे पर ही रखा गया, जिससे वह शरीर के अन्य अंगों की तरह काम करने लगे।

उन्होंने बताया कि तीन माह के बाद माथे पर स्थापित की गई नाक को कार्टिलेज सहित निकालकर बच्चे के चेहरे पर उसी स्थान पर स्थापित किया गया, जहां नाक होती है।

डॉ. दास ने बताया कि एक तरफ जहां नई नाक ने अरुण के चेहरे को खुबसूरत बना दिया है, वहीं यह सांस लेने में भी मददगार बन गई है। नाक प्रत्यारोपण की प्रक्रिया लगभग एक वर्ष तक चली।

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