भागवत ने देश में फैले जातिवाद पर चिंता जताई

आरएसएस प्रमुखनागपुर: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को भारतीय समाज में फैली सामाजिक असमानता और जातिवाद पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आरएसएस के एक सर्वेक्षण में इस स्थिति को लेकर घातक परिणाम सामने आए हैं।

उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर, मध्य प्रदेश के 9,000 गांवों पर किए गए एक विस्तृत सर्वेक्षण में पता चला है कि इसमें 40 प्रतिशत गांवों में पिछड़ी और दलित जाति को मंदिर में प्रवेश करने को लेकर भेदभाव का सामना करना पड़ा। करीब 30 प्रतिशत गांवों में इन वर्गो को जल स्रोतों से पानी लेने की अनुमति नहीं है और 35 प्रतिशत गांवों में इन्हें श्मशान का इस्तेमाल करने से रोका गया है।

नागपुर में संघ की वार्षिक दशहरा रैली में भागवत ने कहा, “स्वंयसेवक इस मुद्दे पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अपने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बंधुओं को संविधान के तहत मिले फायदों के लिए दावा करने और सरकार और प्रशासन से उनके कल्याण के लिए आवंटित राशि को सुनिश्चित रूप से व्यय किए जाने में सहायता करना शुरू कर दिया है।”

आरएसएस प्रमुख ने की

उन्होंने कहा कि आरएसएस कार्यकर्ता अपनी शक्ति, क्षमता और बुद्धि के अनुसार सामाजिक समानता के लिए कोशिश तो करेंगे ही, समाज के सभी व्यक्ति और संगठन भी इस सामाजिक भलाई के लिए ज्यादा सक्रिय हों।

आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा, “यह निश्चित तौर से 21वीं शताब्दी में भारत के लिए शर्म की बात होगी यदि एक निर्दोष जाति को किसी एक तुच्छ मुद्दे या किसी एक के खुद को श्रेष्ठ समझने के कारण अपमान और शारीरिक हमले का सामना करना पड़े। यह विभाजनकारी ताकतों को देश की छवि बिगाड़ने का मौका देता है और सामाजिक कल्याण की चल रही गतिविधियों को धीमा कर देता है। ”

नागपुर में आरएसएस की 90वीं रैली में संघ के वरिष्ठ नेता पहली बार पहले की खाकी हाफ पैंट की बजाय गहरे भूरे रंग पूरी पतलून में दिखाई दिए।

LIVE TV