आनंद बक्शी की पुण्यतिथि पर इनके ये 10 गानें याद दिलाएंगे उनके शब्दों का जादू छाया था पूरे भारत में…

गीत : सावन का महीना
फिल्म : मिलन (1967)

मुकेश और लता मंगेशकर की आवाज में यह गाना सावन के महीने के बिना भी सावन जैसा सुहावना महसूस कराता है। इसकी वजह आनंद बक्शी के लिखे शानदार बोल ही हैं, जो लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के संगीत के साथ बेहतरीन तालमेल बनाते हैं। इस गाने के लिए आनंद बक्शी को पहली बार फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।
गीत : कोरा कागज था
फिल्म : आराधना (1969)

हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना को कामयाब बनाने में आनंद बक्शी के लिखे गीतों का बहुत बड़ा हाथ रहा है। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की आवाज में इस गीत को आज भी रेडियो पर खूब बजाया जाता है। राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर पर फिल्माए गए इस गीत को एस डी बर्मन ने संगीत दिया है। इस गीत के लिए आनंद बक्शी को फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नामित किया गया।
गीत : हम तुम एक कमरे में बंद हों
फिल्म : बॉबी (1973)

इस गीत में दो प्रेमियों की दिली ख्वाहिश को सटीक शब्दों में पिरोने का काम आनंद बक्शी से बेहतर शायद ही कोई कर सके। डिंपल कपाड़िया और ऋषि कपूर पर फिल्माए इस गीत को शैलेन्द्र सिंह और लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी है। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की प्रतिष्ठित जोड़ी के संगीत से सजे इस सदाबहार गीत के लिए आनंद बक्शी को फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नामित किया गया।

गीत : महबूबा महबूबा
फिल्म : शोले (1975)

फिल्म के गंभीर हालात को हल्का करने वाला ये आइटम नंबर उस समय के गिने चुने हिट आइटम गीतों में से एक है। सलमान खान की मां हेलेन पर फिल्माए गए इस गीत को आर डी बर्मन ने संगीत दिया है और गाया भी उन्होंने ही है। इस शानदार गीत को लिखने के लिए आनंद बक्शी को फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नामित किया गया।

गीत : आदमी मुसाफिर है
फिल्म : अपनापन (1977)

आनंद बक्शी के लिखे इस गाने को भी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने संगीत दिया है। मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर की आवाज से सजा ये गाना जिंदगी का फलसफा समझाता है। इस गाने को जीतेन्द्र और रीना रॉय पर फिल्माया गया है। तमाम नामांकन के बाद आखिरकार इस गीत के लिए आनंद बक्शी को अपना पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।
गीत : ओम शांति ओम
फिल्म : कर्ज (1980)

नौजवानों को पुरजोर से गाने पर मजबूर कर देने वाला ये गाना उस समय का होने पर भी आज के समय जैसा लगता है। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के संगीत से सजा ये गाना आज भी बहुत लोकप्रिय है। आनंद बक्शी के लिखे इस गीत को किशोर कुमार ने भी अपनी आवाज देकर रही बची कसर पूरी कर दी। इस गीत के लिए आनंद बक्शी को फिल्मफेयर के लिए नामित किया गया।
गीत : तेरे मेरे बीच में
फिल्म : एक दूजे के लिए (1981)

रति अग्निहोत्री और कमल हासन पर फिल्माए गए इस गीत को लता मंगेशकर और एस पी बालासुब्रह्मण्यम ने अपनी आवाज दी है। सुपरहिट फिल्म के इस ब्लॉकबस्टर गीत को लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने अपने अनमोल संगीत से संवारा और कर दिया लोकप्रिय। आनंद बक्शी को इस गीत के लिए दूसरे फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया। इस फिल्म का गीत सोलह बरस की बाली उमर को सलाम भी एक कालजयी गीत है।
गीत : तुझे देखा तो ये जाना सनम
फिल्म : दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995)

हिंदी सिनेमा की अब तक की सबसे बड़ी रोमांटिक फिल्म में आनंद बक्शी अपनी कलम का जादू न दिखाएं, ऐसा तो मुमकिन ही नहीं था। शाहरुख खान और काजोल की सुपरहिट जोड़ी पर फिल्माए गए इस गाने के शब्दों को आनंद ने एक धागे में पिरोया है। इस गीत को लता मंगेशकर और कुमार सानू ने गाया है, और संगीत दिया है जतिन-ललित ने। इस सदाबहार गाने के लिए आनंद को फिल्मफेयर अवार्ड से सुशोभित किया गया।गीत : इश्क बिना
फिल्म : ताल (1999)

गायक बदलते गए और संगीतकार भी बलदते गए, लेकिन आनंद बक्शी ने अपनी कलम का तिलिस्म बरकरार रखा। इस गीत को ऑस्कर विजेता संगीतकार ए आर रहमान ने संगीत दिया और सोनू निगम, अनुराधा श्रीराम और सुजाता मोहन ने अपनी आवाज दी। ऐश्वर्या राय और अक्षय खन्ना पर फिल्माए इस गीत के लिए आनंद बक्शी को फिल्मफेयर अवार्ड से अलंकृत किया गया।
गीत : बागों में बहार आई..
फिल्म : मोम की गुड़िया (1972)  

और, अब आनंद बक्शी का एक बोनस गाना। जैसा कि शुरू में ही हमने बताया कि आनंद बक्शी मुंबई गायक बनने आए थे। वह अपने गाने उर्दू में लिखते थे और संगीतकारों व गायकों को उन्हें गाकर सुनाया करते थे। जिस कांटेस्ट में राजेश खन्ना विनर बनके हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार बने उसी कांटेस्ट में हिस्सा लेने वाले रतन चोपड़ा की फिल्म मोम की गुड़िया में दो गाने आनंद बक्शी ने खुद गाए हैं। इसमें से एक गाना ये है। सुनिए और नीचे कमेंट बॉक्स में लिखिए कि कैसी लगी आपको आनंद बक्शी की आवाज और उनकी आवाज में ये गाना।
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