आजम खान ने बेटे को चुनाव लड़ाने के लिए बनाया ‘बड़ा’, बीजेपी सबूत लेकर पहुंची EC

आजम खान के बेटे की उम्रलखनऊ। राजनीति में कुछ भी होना आश्चर्य की बात नहीं है. कहीं कोई फर्जी डिग्री लगाकर चुनाव लड़ता है तो कहीं कोई ग़लत संपत्ति बताकर. एक ऐसा ही मामला यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में बीएसपी और सपा के बिच फंस गया है. बीएसपी नेता नवाब कजीम द्वारा कुछ दिन पहले आरोप लगाया गया था कि सपा नेता आजम खान के बेटे की उम्र 25 वर्ष से कम है वह यूपी विधानसभा चुनाव में खड़ा नहीं हो सकता।

आजम खान के बेटे की उम्र कम होने का आरोप, नहीं लड़ सकेगा चुनाव!

इस बात को गंभीरता से लेते हुए बीजेपी गुरुवार को चुनाव आयोग पहुंची, जहां उसने रामपुर के स्वार सीट से प्रत्याशी अब्दुल्ला खान की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की।

भारतीय जनता पार्टी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि अब्दुल्ला की उम्र 25 साल से कम है। और साथ ही कुछ ‘सबूत’ भी दिखाए। इस पत्र पर यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष जेपीएस राठौड़ और जनरल सेक्रेटरी विजय बहादुर पाठक के दस्तखत हैं।

उन्होंने रिटर्निंग अफसर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए अब्दुल्ला के नामांकन पत्र में कई गड़बड़ियों करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने इसके लिए कार्रवाई की मांग की है।

खबरों के मुताबिक़ नामांकन पत्र में इनकम का कॉलम खाली छोड़ा गया है और पार्टी का नाम सिर्फ समाजवादी लिखा गया है। साथ ही इस बात को भी नहीं बताया गया कि उम्मीदवार ने किस साल और किस जगह से डिग्री हासिल की है।

जबकि अब्दुल्ला के वकील ने लखनऊ नगर निगम द्वारा जारी किया गया जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड सबूत के तौर पर रिटर्निंग अफसर के सामने पेश किया था, जिसमे अब्दुल्ला की उम्र 30 सितंबर, 1990 है।

कजीम अली ने सवाल उठाया है कि एमटेक की डिग्री वाले अब्दुल्ला ने अपनी दसवीं की मार्कशीट सबूत के तौर पर क्यों नहीं दिखाई।

अब्दुल्ला और कजीम के वकीलों के बीच लंबी बहस चलने के बाद स्वार-टांडा के एसडीएम और रिटर्निंग अफसर गजेंद्र सिंह ने सपा उम्मीदवार के पक्ष में फैसला सुनाया। गजेंद्र सिंह ने कहा कि कजीम को अपने आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत पेश करने चाहिए थे। उन्होंने कहा, मैं एक रिटर्निंग अफसर हूं, कोई जांच अधिकारी नहीं। मुझे नगर निगम का सर्टिफिकेट सबूत के तौर पर मानना पड़ेगा।

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