अनुराग, निहलानी अब ‘हरामखोर’ को लेकर आमने-सामने

अनुरागनई दिल्ली | पिछले दिनों अपनी फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ को लेकर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष पहलाज निहलानी को अदालत में घसीटने वाले फिल्मकार अनुराग कश्यप का कहना है कि जब निहलानी जैसा ‘सठियाया हुआ’ और ‘अनाड़ी व्यक्ति’ सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष हो तो फिल्मकारों को सीधे अदालत के पास जाने का अधिकार मिलना चाहिए। दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं।

अपना समय क्यों बर्बाद करना चाहिए?

अनुराग (43) ने यहां एक साक्षात्कार में बताया, “हमें यह अधिकार दीजिए कि अगर हम एक वयस्क फिल्म बना रहे हों और ‘ए’ प्रमाण-पत्र की मांग कर रहे हों, तो सीधे अदालत या फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) के पास जा सकें। हमें उनसे (निहलानी) मिलने वाली बेइज्जती क्यों झेलनी चाहिए और अपना समय क्यों बर्बाद करना चाहिए?”

अनुराग ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म के सह-निर्माता हैं, जो पंजाब में व्याप्त नशे की समस्या को उठाती है। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष निहलानी ने इसके निर्माताओं को इसमें 89 कट लगाने के लिए कहा था, जिसके खिलाफ निर्माताओं ने बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। बंबई उच्च न्यायालय ने बाद में सीबीएफसी के 89 कटों को खारिज कर दिया था और निहलानी को फिल्म में एक कट लगाकर और तीन वैधानिक चेतावनी जोड़ इसे ‘ए’ प्रमाण-पत्र देने का निर्देश दिया था।

अब अनुराग सह-निर्मित ‘हरामखोर’ फिल्म भी प्रमाण-पत्र को लेकर पचड़े में फंस गई है। सुनने में आया है कि सेंसर बोर्ड ने इसे प्रमाण-पत्र देने से इनकार कर दिया है। फिल्म एक शिक्षक-विद्यार्थी के रोमांस पर आधारित बताई गई है।

अनुराग के अनुसार, प्रमाण-पत्र को लेकर हुआ हालिया विवाद एक बंदे के अहंकार का नतीजा है। उन्होंने कहा, “वह बहुत ही अजीब आदमी हैं, जिन्हें कतई नहीं सुहाता कि कोई उनसे उनकी सत्ता छीन ले। उन्होंने चार दिनों में ‘हरामखोर’ एवं ‘सात उचक्के’ सहित कई फिल्मों को प्रमाण-पत्र देने से इनकार कर दिया।”

पूर्व में निहलानी को ‘तानाशाह’ बताने वाले अनुराग ने जोर देकर कहा, “उनका अहंकार इतना बड़ा है कि वह यह बात हजम ही नहीं कर सकते कि कोई उनसे उनकी ताकत छीन सकता है।”

अनुराग ने ‘शोला और शबनम’, ‘आंखें’ एवं ‘अंदाज’ सरीखी फिल्में बना चुके निहलानी के लिए कहा, “वह एक पुरानी सोच के व्यक्ति हैं। सिनेमा उनसे आगे बढ़ गया है..वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि अब फिल्म पर मनोरंजन करने से कहीं ज्यादा जिम्मेदारी है।”

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