जीजेएम के प्रदर्शन से खतरे में आया दार्जिलिंग का चाय व्यापार

अनिश्चितकालीन बंदकोलकाता। दार्जिलिंग में गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) द्वारा आहूत अनिश्चितकालीन बंद से दार्जिलिंग चाय उद्योग को बेहतरीन गुणवत्ता के सालाना चाय उत्पादन में 20 फीसदी तथा सालाना राजस्व में 40 फीसदी की कमी का झटका लग सकता है। जिले के 87 चाय बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ने तथा उत्पादन का काम बीते नौ जून से बंद है।

बागान मालिकों के मुताबिक, उद्योग को अभी तक जो भी नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। इसलिए सालाना उत्पादन में कमी आने की संभावना है।

बेहतरीन गुणवत्ता वाली चाय का उत्पादन मई के अंत से लेकर जुलाई के मध्य तक होता है।

दार्जिलिंग चाय संघ (डीटीए) के अध्यक्ष विनोद मोहन ने बताया कि “बेहतरीन गुणवत्ता की चाय के उत्पादन का यही मौसम है। पीक सीजन में सभी बागान बंद पड़े हैं, परिणामस्वरूप उद्योग को बड़ा नुकसान हुआ है।”

मोहन ने कहा, “यहां तक कि अगर कल से ही बागान खुल जाते हैं, तो भी हमें हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती। पौधे काफी बड़े हो चुके हैं और अब वे किसी काम के नहीं हैं। हमें दूसरी तुड़ाई का इंतजार करना होगा, जिसमें आठ से 10 दिनों का वक्त लगेगा।”

पौधे की पहली तथा दूसरी तुड़ाई से जिस चाय का उत्पादन होता है, वह सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली होती है और सालाना उत्पादन में इसका योगदान 45 फीसदी है तथा ऐसी अधिकांश चाय का निर्यात होता है।

डीटीए के महासचिव कौशिक बसु ने कहा, “अंतत: दूसरी तुड़ाई नहीं होगी, जिसका सालाना उत्पादन में योगदान 20 फीसदी है और सालाना राजस्व में 40 फीसदी।”

दार्जिलिंग चाय उद्योग ने बीते वित्तीय वर्ष में 81.3 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन किया था।

उद्योग को आशंका है कि अगर अभी भी उत्पादन शुरू होता है, तो पत्तियों की गुणवत्ता अच्छी नहीं होगी, जिसके कारण उनकी कीमतें गिरेंगी।

डीटीए के पूर्व अध्यक्ष अशोक लोहिया ने बताया कि चाय की पत्तियों की तुड़ाई साप्ताहिक आधार पर होती है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो कच्चा माल बर्बाद हो जाता है। उद्योग बेहतरीन गुणवत्ता वाली चाय का उत्पादन करने में सक्षम नहीं है, जिसका असर उसकी कीमतों पर पड़ेगा।

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