अगर आप भी बार-बार धोते है हाथ धोने तो हो जाए सावधान…

कोरोना वायरस से बचने के लिए डॉक्टर या विशेषज्ञ बार-बार साबुन से हाथ धोने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही आसपास साफ-सफाई का भी ध्यान रखने को कहा जा रहा है। काफी हद तक लोग इन बातों पर अमल भी कर रहे हैं। हालांकि दुनिया में ऐसे भी लोग हैं, जो पहले से ही इन चीजों को अपनाए हुए हैं और कुछ लोग तो आदतन बार-बार हाथ धोते रहते हैं या साफ-सफाई करते रहते हैं। असल में उनकी ये आदत एक बीमारी का लक्षण हो सकता है, जिसपर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते हैं। आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी, इसके लक्षण और क्या-क्या हैं, यह कितना खतरनाक है और इसका इलाज क्या है? 

क्या है ये बीमारी? 
इस बीमारी को ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder) कहते हैं। यह एक मानसिक विकार है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों का कहना है कि जो लोग पहले से ही इस बीमारी से पीड़ित हैं, इस कोरोना काल में उनकी दिक्कतें और भी बढ़ गई हैं। 

क्या लगता है इस बीमारी से पीड़ित लोगों को? 
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को लगता है कि हाथ धोने के बावजूद उनके हाथ गंदे हैं, उन्हें हर चीज में वायरस, बैक्टीरिया या गंदगी के ही होने का अहसास होता है। ऐसे में वो बार-बार हाथ धोते रहते हैं और आसपास साफ-सफाई करते रहते हैं, लेकिन फिर भी उनका ये अहसास खत्म नहीं होता है। असल में वो हाथ अच्छी तरह धो चुके होते हैं या सफाई भी अच्छी तरह कर चुके होते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का यकीन ही नहीं होता। 

इस बीमारी से पीड़ित लोगों की आदतें यानी लक्षण क्या हैं? 
बार-बार हाथ धोना 
नहाते समय ऐसा लगना कि अभी भी शरीर में गंदगी बची ही है, ऐसे में नहाने में घंटों लगा देना 
साफ-सफाई में घंटों लगा देना या पूरा दिन साफ-सफाई ही करते रहना 
खुद पर भरोसा न होने की स्थिति में दूसरों से इस बात की पुष्टि कराना कि उसने हाथ अच्छे से धोए हैं या नहीं या साफ-सफाई अच्छे से की है या नहीं 
कई-कई घंटों तक वॉशरूम नहीं जाना, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे हाथ गंदे हो जाएंगे और फिर उसे घंटों तक धोना पड़ेगा 
बार-बार दरवाजे को चेक करते रहना कि ठीक से बंद हुआ है नहीं और लाइट स्विच की भी बार-बार जांच करना 

इस बीमारी के कारण क्या हैं? 
काफी रिसर्च के बाद भी इस बीमारी के सटीक कारणों की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि दिमाग के अंदर मौजूद सिरोटोनिन नाम के रसायन के कम हो जाने की स्थिति में कोई भी काम करते हुए अधूरा सा अहसास होने लगता है। इसलिए पीड़ित व्यक्ति बार-बार उसी काम को करते रहता है। 

इस बीमारी से नुकसान क्या हैं? 

ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के नुकसान हो सकते हैं। कई बार लोगों को लगता है कि साबुन से उनके हाथ अच्छे से साफ नहीं हो रहे हैं या शरीर की गंदगी नहीं जा रही है तो वो कपड़े धोने के साबुन या सर्फ के घोल से ही हाथ धोने या नहाने लगते हैं। इसके नुकसान इस प्रकार हैं- 
बार-बार हाथ धोने या नहाने से त्वचा रुखी हो सकती है और बाद में फट भी सकती है, जो शरीर के लिए काफी नुकसानदायक है। 
रोजमर्रा के कामों में ध्यान न देकर लोग सिर्फ साफ-सफाई में ही दिनभर लगे रहते हैं। 
चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है, उदासी छाने लगती है, इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। 

क्या है इस बीमारी का इलाज? 
अगर ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति का समय पर इलाज न कराया जाए तो यह वक्त के साथ और भी गंभीर हो सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि सही और समय पर इलाज से ये बीमारी ठीक हो सकती है। इससे पीड़ित मरीज को दवाइयां दी जाती हैं। साथ ही उसकी काउंसलिंग भी की जाती है। इसके अलावा मरीज को बिहेवियर थेरेपी भी दी जाती है और जो काम उसे बार-बार करने की आदत है, उसे करने से उसे रोका जाता है। 

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