बागेश्वर के एक गांव में सड़क के लिए फरियादी बने ग्रामीण…
रिपोर्ट – हरीश सिंह नगरकोटी
बागेश्वर : एक तरफ दुनिया चाँद तारो का सफर तय कर चुकी है, दूसरी तरफ उतराखंड के जनपद बागेश्वर में कपकोट तहसील के अशोक चक्र विजेता खीम सिंह के गांव चलकाना, लखमारा मे अभी भी सड़क का पहुंचना जैसा एक सपना हो, कोई सुनने वाला नही है, लगातार क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों के झूठे आश्वासनों व देहरादून और दिल्ली मे बैठे हुकमरानो तक अपने गांव तक सड़क पहुंचाने कि मांग को लेकर कई बार फरियादी बन चुके है लेकिन गांव के लोगो को निराशा ही हाथ लगी है| गांव की दर्द भरी आवाजो को सुनने वाला कोई नही है, गांव के उजड़े हालातो से तंग आकर संयुक्त रूप से ग्नेरामीणों ने जिलाधिकारी बागेश्वर को अपने गांव का दर्द सुनाया है|
हालातो को बताते हुए उमा देवी कहती है, कि सड़क का सपना देखते -देखते गांव के बच्चें , बुढ़ें हो कर मर गये है| गांव में ना स्कूल है, ना हॉस्पिटल है और न ही सड़क| जिनके पास कुछ पैसा था, वो गांव से पलायन कर चुके है|
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हम बेबस गरीब लोग गांव की दर्द भरी जिदंगी जी कर सिसक- सिसक कर रो रहे है, कोई सुनने वाला नही है, ना ही किसी को कोई फर्क पड़ता है, बस हमे तकदीर के भरोसे मरने के लिये छोड़ दिया गया है|
अशोक चक्र विजेता खीम सिह का कहना है, कि मै अपने गांव नही जा पा रहा हूँ, देहरादून व दिल्ली मे बैठे हुकमरानो तक कई बार अपनी फरियाद लगा चुके है, लेकिन कोई सुनने वाला नही है|
गांव के युवाओ का कहना हैं, कि मूलभूत समस्याओं के समाधान करने के लिये हमने जन प्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगायी है, लेकिन झूठे आश्वासनो के सिवा ओर कुछ हमे मिला नही है, हमे अब घरवार छोड़ कर आंदोलन हेतु बाध्य होना पड़ रहा है|
भावना देवी का कहना है, अधिक परेशान हम लोग तब हो जाते है, जब महिला डिलवरी का समय होता है, कुछ नही है, गांव मे ना कोई झाकने आता है, बस वोट माँगने लोग पहुँच जाते है, तकदीर के भरोसे मरने के लिये छोड़ दिया गया है|
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वही जिलाधिकारी बागेश्वर का कहना कि दो बार शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है, जैसे ही धनराशी स्वीकृत होगी , तब काम किया जायेगा|
हालातो व बेबसी से जूझते गांव की जिंदगी अब ग्रामीण लोगो को पहाड़ सी लगने लगी है, और सरकार आँखो मे पट्टी बाँध कर तमाशबीन बैठी है|