‘कड़कनाथ’ के आगे पस्त हुआ देसी मुर्गा, 500 रुपये प्रति किलोग्राम है कीमत

कड़कनाथ चिकनरायपुर| नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा आजकल अपने कड़कनाथ चिकन की वजह से सुर्ख़ियों में है. कड़कनाथ के नाम से मार्केट में बिक रहे इस मुर्गे का रंग काला होता है और कीमत आम चिकन के मुकाबले तीन गुनी. महंगा होने के बावजूद इस कड़क मीट का जादू शौकीनों के सर चढ़ कर बोल रहा है.

कड़कनाथ चिकन ने बनाया लोगों को दीवाना

लगभग 500 रुपए प्रति किलो कीमत वाले इस चिकन की मार्केट में भारी डिमांड है. स्थानीय लोग इसे कालीमासी कहते हैं जबकि आम तौर पर ये कड़कनाथ के नाम से जाना जाता है. ये एक प्रीमियम ब्रीड है.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार दंतेवाड़ा में कड़कनाथ मुर्गे पालने के लिए कई पोल्ट्री फॉर्म बने हैं. यहां के लोगों के लिए ये काला मुर्गा कमाई का सबसे कड़क जरिया बनता जा रहा है.

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पोल्ट्री फॉर्म वालों की मानी जाए तो 1,000 मुर्गे पालकर 5 लाख रुपये तक आसानी से कमाए जा सकते हैं. इन्हें पालने के लिए पहले सीजन में सरकार 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी देती है. जबकि आगे के वर्षों में दवाओं के लिए सरकारी मदद दी जाती है.

उन्होंने बताया कि कड़कनाथ भले ही दंतेवाड़ा में पाला जाता है, लेकिन यह मुर्गा पूर्वी मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जिलों से संबंध रखता है. फिलहाल, दंतेवाड़ा जिले में 76 उद्यमी इस प्रजाति के 76,000 मुर्गे पाल रहे हैं.

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दंतेवाड़ा प्रशासन ने कड़कनाथ के लिए जिऑग्रैफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग के लिए आवेदन भी कर रखा है.

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