इंडिगो संकट: उड़ानें धीरे-धीरे सामान्य हो रही, लेकिन यात्रियों की परेशानी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची, आज 470 से ज्यादा उड़ानें रद्द

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के परिचालन संकट ने आज पांचवें दिन भी हाहाकार मचा रखा है। शुक्रवार को 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द होने के बाद शनिवार को भी देशभर में 470 से ज्यादा उड़ानें कैंसल हो गईं, जिससे लाखों यात्री फंस गए।

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे ने यात्रियों के लिए सलाह जारी की है कि उड़ानें धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं, लेकिन घर से निकलने से पहले फ्लाइट स्टेटस जरूर चेक करें। इस बीच, यात्रियों की परेशानी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश के हस्तक्षेप की मांग की गई है।

इंडिगो ने अपने सीईओ पीटर एल्बर्स के माध्यम से माफी मांगी है और कहा है कि 10 से 15 दिसंबर के बीच सेवाएं पूरी तरह सामान्य हो जाएंगी। एल्बर्स ने वीडियो संदेश में कहा, “5 दिसंबर सबसे ज्यादा प्रभावित दिन था, जिसमें 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द हुईं। ग्राहकों को हुई असुविधा के लिए हम हृदय से माफी मांगते हैं। पूर्ण सामान्य स्थिति बहाल होने में कुछ समय लगेगा।” विमानन मंत्रालय ने इंडिगो को नए पायलट ड्यूटी नियमों (एफडीटीएल) में अस्थायी छूट दी है, जो फरवरी 2026 तक लागू रहेगी।

दिल्ली हवाई अड्डे की सलाह: धीरे-धीरे सामान्य हो रही उड़ानें

दिल्ली एयरपोर्ट ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “हमें खुशी है कि इंडिगो की उड़ानें अब धीरे-धीरे बहाल हो रही हैं और सामान्य स्थिति की ओर लौट रही हैं। घर से निकलने से पहले अपनी बुकिंग और फ्लाइट स्टेटस चेक करें।” शुक्रवार को दिल्ली से सभी घरेलू उड़ानें मध्यरात्रि तक रद्द कर दी गई थीं। डीजीसीए ने इंडिगो की योजना और आकलन में गैप को इन विघ्नों का कारण बताया है, जो नए पायलट ड्यूटी घंटों के नियमों को लागू करने में हुई भूल से उपजा।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका: यात्रियों के नुकसान पर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग

यात्रियों के भारी नुकसान को लेकर वकील नरेंद्र मिश्रा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि उड़ान रद्दीकरण से लाखों लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जिसमें अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा का अधिकार शामिल है। यह एक “मानवीय संकट” बन गया है, जहां यात्रियों को वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं मिल रही।

याचिकाकर्ता ‘इंडिगो ऑल पैसेंजर एंड अदर’ ने मांग की है कि कोर्ट स्वत: संज्ञान ले, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए से स्टेटस रिपोर्ट मंगवाए, तथा तत्काल सुनवाई के लिए विशेष बेंच गठित करे। इसके अलावा, इंडिगो को मनमाने रद्दीकरण बंद करने और फंसे यात्रियों को मुफ्त वैकल्पिक यात्रा (अन्य एयरलाइंस या ट्रेन) उपलब्ध कराने का निर्देश देने की अपील की गई है।

विमानन मंत्री का सख्त रुख: जांच समिति बनेगी, जिम्मेदारों पर कार्रवाई

विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने इंडिगो के क्रू मैनेजमेंट और एफडीटीएल नियमों को हैंडल करने पर नाराजगी जताई। एएनआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “हमने एक समिति गठित की है जो इसकी पूरी जांच करेगी कि गलती कहां हुई और किसने की। सख्त कार्रवाई होगी, ताकि जिम्मेदार लोग इसका खामियाजा भुगतें।” मंत्रालय ने इंडिगो को कुछ नियामक आवश्यकताओं से अस्थायी राहत दी है, लेकिन मंत्री ने जोर दिया कि कंपनी के पास पर्याप्त समय था।

आज के रद्दीकरण: देशभर में 470 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित

शनिवार सुबह तक की स्थिति में दिल्ली में 86, मुंबई में 109, बैंगलोर में 120 से अधिक, हैदराबाद में 69, पुणे में 42, चेन्नई में 29, लखनऊ में 7 और तिरुवनंतपुरम में 6 उड़ानें रद्द हो चुकी हैं। अहमदाबाद में आधी रात से सुबह 6 बजे तक 7 आगमन और 12 प्रस्थान प्रभावित हुए। एक्स पर यात्रियों ने अपनी परेशानियां साझा कीं, जैसे चेन्नई में मरीजों की उड़ानें रद्द होने से इलाज में देरी। इंडिगो ने 5 से 15 दिसंबर तक कैंसिलेशन/रीशेड्यूल पर कोई चार्ज न लगाने का ऐलान किया है।

यह संकट नए एफडीटीएल नियमों के दूसरे चरण (1 नवंबर 2025 से लागू) से उपजा है, जो पायलटों की थकान रोकने के लिए हैं। इंडिगो ने इसे योजना की कमी माना, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि स्टाफिंग की कमी मुख्य समस्या है।

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