
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को लोकसभा सांसदों की महत्वपूर्ण बैठक से फिर दूरी बनाई, जिसकी अध्यक्षता नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी कर रहे थे। यह उनकी लगातार तीसरी अनुपस्थिति है, जिससे पार्टी के अंदर उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठ रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, थरूर ने पहले ही नेतृत्व को सूचित कर दिया था, लेकिन कांग्रेस के मुख्य सचेतक को उनकी गैरमौजूदगी की वजह पता नहीं थी।
तिरुवनंतपुरम सांसद थरूर का सार्वजनिक शेड्यूल बताता है कि वे गुरुवार रात कोलकाता में प्रभा खेतान फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में थे, जिसके चलते शायद वे दिल्ली समय पर नहीं लौट सके। इससे पहले 30 नवंबर को कांग्रेस की रणनीतिक समूह बैठक में भी वे शामिल नहीं हुए थे। तब थरूर ने स्पष्ट किया था कि वे केरल से दिल्ली आते हुए फ्लाइट में थे। उन्होंने कहा था, “मैंने जानबूझकर बैठक नहीं छोड़ी, मैं प्लेन में था।”
इससे पूर्व विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मुद्दे पर कांग्रेस की चर्चा में भी थरूर अनुपस्थित रहे थे, जहां उन्होंने अस्वस्थता का हवाला दिया था। उनके कार्यालय ने बताया था कि वे 90 वर्षीय मां के साथ केरल से देर की फ्लाइट में थे। उस बैठक में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल भी केरल में स्थानीय निकाय चुनाव प्रचार के कारण नहीं पहुंचे थे। चंडीगढ़ सांसद मनीष तिवारी भी शुक्रवार की बैठक में गैरहाजिर रहे।
थरूर की इन अनुपस्थितियों से पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है, खासकर जब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के प्रति नरम टिप्पणियों के लिए पहले से आलोचना झेल रहे हैं। हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन के राजकीय भोज में थरूर इकलौते कांग्रेस प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित हुए थे, जिससे पार्टी में खुसुर-फुसुर बढ़ गई।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने टिप्पणी की थी, “हर किसी की अंतरात्मा की आवाज होती है। जब हमारे नेता आमंत्रित नहीं होते और मैं हूं, तो समझना चाहिए कि खेल क्या है, कौन खेल रहा है और हमें इसमें हिस्सा क्यों नहीं होना चाहिए।”
कांग्रेस नेतृत्व ने इस मामले पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन संसदीय सत्र के दौरान पार्टी एकजुटता बनाए रखने की कोशिश कर रही है। थरूर की अनुपस्थितियां पार्टी की आंतरिक चिंताओं को उजागर कर रही हैं।





