नेहरू को मिटाना ही नहीं, देश की नींव ही उखाड़ फेंकना चाहते हैं: सोनिया गांधी का दुर्लभ भाषण, बीजेपी पर तीखा हमला

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को जवाहर भवन में ‘नेहरू सेंटर इंडिया’ के उद्घाटन के दौरान एक दुर्लभ सार्वजनिक भाषण दिया। बिना बीजेपी या आरएसएस का नाम लिए उन्होंने सत्तारूढ़ दल पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि आज सत्ता प्रतिष्ठान का मुख्य उद्देश्य जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करना है। उनका मकसद सिर्फ नेहरू को मिटाना नहीं, बल्कि उस सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक नींव को ही ध्वस्त करना है जिस पर आजाद भारत खड़ा हुआ है।

सोनिया गांधी ने कहा, “कोई संदेह नहीं कि नेहरू को बदनाम करने का प्रोजेक्ट आज सत्ता प्रतिष्ठान का मुख्य लक्ष्य है। वे न सिर्फ उन्हें मिटाना चाहते हैं, बल्कि उस नींव को ही नष्ट करना चाहते हैं जिस पर हमारा राष्ट्र बना है।”

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि नेहरू जैसे महान व्यक्तित्व के योगदान का विश्लेषण और आलोचना स्वागतयोग्य है, लेकिन उनके लिखे-सुने को जानबूझकर तोड़-मरोड़कर पेश करना और इतिहास को स्वार्थपूर्ण ढंग से फिर से लिखने की कोशिश बिल्कुल अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, “नेहरू को उनके समय के संदर्भों से काटकर देखना और उनके सामने आई चुनौतियों को नजरअंदाज करना अब आम चलन बन गया है।”

सोनिया ने बिना नाम लिए उस विचारधारा पर भी निशाना साधा जो स्वतंत्रता संग्राम में शामिल नहीं थी, संविधान निर्माण में उसका कोई योगदान नहीं था, बल्कि जिसने नफरत का माहौल पैदा किया जिसके परिणामस्वरूप महात्मा गांधी की हत्या हुई। उन्होंने कहा, “आज भी गांधी के हत्यारों को उसी विचारधारा के अनुयायी महिमामंडित करते हैं। यह एक कट्टर और जहरीले सांप्रदायिक नजरिए वाली विचारधारा है, जिसका राष्ट्रवाद हर तरह के पूर्वाग्रहों को भड़काने पर टिका है।”

अपने भाषण के अंत में सोनिया गांधी ने कहा कि आगे का रास्ता आसान नहीं है, लेकिन भारत के पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ चल रहे इस “प्रोजेक्ट” का मुकाबला करने के सिवा कोई विकल्प नहीं है। हमें खड़ा होना होगा और इसका डटकर सामना करना होगा।

यह भाषण ऐसे समय में आया है जब कुछ दिन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विवादास्पद बयान दिया था कि नेहरू बाबरी मस्जिद को सरकारी खजाने से बनवाना चाहते थे, लेकिन सरदार पटेल ने रोक दिया।

कांग्रेस ने इसे सरासर झूठ बताया था और ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया था। 2014 के बाद से नेहरू और उनकी नीतियां बीजेपी के हमलों का लगातार निशाना बनी हुई हैं।

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