
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अवैध घुसपैठियों के खिलाफ योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी ने 17 नगर निकायों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की विस्तृत सूची तैयार करें और उन्हें कमिश्नर व आईजी को सौंपें।
इसके साथ ही प्रथम चरण में हर मंडल में डिटेंशन सेंटर स्थापित करने का आदेश दिया गया है। योगी के निर्देशों के बाद प्रशासनिक तंत्र हरकत में आ गया है, और जिलों में खाली सरकारी भवनों, सामुदायिक केंद्रों, पुलिस लाइनों व थानों की पहचान की जा रही है, जहां घुसपैठियों को कड़ी सुरक्षा में रखा जा सके। यह कदम दिल्ली के मॉडल पर आधारित है, जहां 18 डिटेंशन सेंटरों में करीब 1500 विदेशी नागरिकों को रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने 22 नवंबर को सभी जिलाधिकारियों (DM) को सख्त निर्देश दिए थे कि घुसपैठियों की तत्काल पहचान करें, उन्हें डिटेंशन सेंटरों में रखें और कानूनी प्रक्रिया के तहत उनके मूल देशों में निर्वासित करें। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, यह अभियान कानून-व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव को प्राथमिकता देते हुए चलाया जाएगा।
योगी ने स्पष्ट कहा कि घुसपैठियों को किसी भी अवैध गतिविधि में संलिप्त होने का मौका नहीं दिया जाएगा, और वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं निभा सकेंगे।
डिटेंशन सेंटरों की व्यवस्था दिल्ली की तर्ज पर होगी, जहां बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अफ्रीकी मूल के नागरिकों को रखा जाता है। इन केंद्रों में खाने-पीने, चिकित्सा सुविधा और पुख्ता सुरक्षा का इंतजाम होगा। सत्यापन के बाद फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) के माध्यम से इन्हें वापस भेजा जाएगा। पश्चिम बंगाल और असम में बीएसएफ की मदद से यह प्रक्रिया पूरी की जाती है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भेजी है, जिसके अनुरूप यूपी में भी केंद्र स्थापित होंगे। जिला प्रशासन और पुलिस इनकी जिम्मेदारी संभालेंगे, और पकड़े गए घुसपैठियों की दैनिक रिपोर्ट गृह विभाग को भेजनी होगी।
यह अभियान विशेष गहन संशोधन (SIR) अभियान के बीच आया है, जब चुनाव आयोग 12 राज्यों में मतदाता सूचियों का संशोधन कर रहा है। अनुमान है कि देश में 1.5 करोड़ से अधिक अवैध घुसपैठिए हैं, जिनमें ज्यादातर बांग्लादेशी हैं।
लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद और वाराणसी जैसे तेजी से बढ़ते शहरों में घुसपैठ की समस्या सबसे गंभीर है, जहां ये लोग नकली दस्तावेजों से भारतीय नागरिकता हासिल कर लेते हैं। योगी सरकार ने पहले भी 2017 से घुसपैठियों की पहचान और निर्वासन पर जोर दिया है। बिहार चुनावों में घुसपैठ मुद्दे ने राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ाया था, और अब यूपी में 2026 विधानसभा चुनावों से पहले यह BJP की रणनीति का हिस्सा लगता है।





