iPhone पर संचार साथी ऐप: अनिवार्य या वैकल्पिक? सरकार के आदेश से Apple-भारत के बीच गोपनीयता विवाद की आहट

संचार साथी ऐप को स्मार्टफोन्स पर पूर्व-स्थापित करने के केंद्र सरकार के 28 नवंबर 2025 के आदेश ने राजनीतिक हंगामे के साथ-साथ Apple और भारत के बीच नई टकराव की संभावना पैदा कर दी है।

दूरसंचार विभाग (DoT) के निर्देश के अनुसार, सभी नए फोनों पर ऐप को इस तरह इंस्टॉल करना होगा कि उपयोगकर्ता इसे निष्क्रिय, संशोधित या हटा न सकें। लेकिन संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि ऐप पूरी तरह वैकल्पिक है और उपयोगकर्ता इसे डिलीट कर सकते हैं। DoT ने अभी तक अपडेटेड सर्कुलर जारी नहीं किया है, जिससे अस्पष्टता बनी हुई है। यदि पूर्व-स्थापना अनिवार्य रही, तो Apple के लिए यह चुनौती बनेगी, जो iOS की गोपनीयता नीतियों से टकराएगी।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, Apple अनुपालन करने का इरादा नहीं रखता और दिल्ली को अपनी चिंताएं बताएगा।

संचार साथी ऐप, जो जनवरी 2025 में लॉन्च हुआ, एक ‘नागरिक-केंद्रित’ उपकरण है। यह उपयोगकर्ताओं को खोए या चोरी फोनों को ब्लॉक करने, IMEI सत्यापन, अपने नाम पर रजिस्टर्ड कनेक्शन्स चेक करने और फ्रॉड रिपोर्ट करने की सुविधा देता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पोर्टल पर 20 करोड़ से ज्यादा इंटरैक्शन्स हुए हैं, 1.5 करोड़ डाउनलोड्स हैं, 1.75 करोड़ फर्जी कनेक्शन बंद हुए, 20 लाख चोरी फोन ट्रेस हुए और 7.5 लाख लौटाए गए।

ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी कहती है कि यह बिना सूचना के पर्सनल डेटा कैप्चर नहीं करता, लेकिन iOS पर कैमरा, फोटोज, फाइल्स और कॉल/मैसेज डिटेल्स जैसी गहरी एक्सेस की जरूरत पड़ती है। सिंधिया ने कहा, “यह जासूसी का टूल नहीं, बल्कि साइबर फ्रॉड से सुरक्षा के लिए है। उपयोगकर्ता इसे एक्टिवेट न करें तो यह डोरमेंट रहेगा, और डिलीट भी कर सकते हैं।” लेकिन DoT के आदेश में ‘फंक्शनैलिटी निष्क्रिय न करने’ की शर्त विपक्ष को ‘निगरानी’ का हथियार लग रही है।

Apple के लिए यह मुश्किल है। कंपनी iPhone को ‘क्लीन’ बेचती है—बिना किसी थर्ड-पार्टी ऐप (ब्लोटवेयर) के। ऐप पूर्व-स्थापित करने से iOS की सैंडबॉक्स आर्किटेक्चर टूट सकती है, जो ऐप्स को अनलिमिटेड एक्सेस रोकती है। Apple का ब्रांड ‘व्हाट हैपन्स ऑन योर iPhone, स्टेज ऑन योर iPhone’ पर टिका है।

रिपोर्ट्स कहती हैं कि Apple MeitY से बात करेगा, तर्क देगा कि यह नेशनल सिक्योरिटी रिस्क पैदा करेगा। Android कंपनियां जैसे सैमसंग, शाओमी, ओप्पो, वीवो और वनप्लस के लिए यह रेगुलेटरी होप है, लेकिन Apple के लिए फिलॉसफी का सवाल। यदि एक ऐप अनिवार्य हुआ, तो अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं—रूस में MAX ऐप जैसा उदाहरण है।

यह पहली बार नहीं। 2016 में TRAI के ‘Do Not Disturb’ ऐप पर Apple ने दो साल विरोध किया, क्योंकि यह कॉल/SMS लॉग एक्सेस मांगता था। समझौते में Apple ने iOS 12 में फ्रेमवर्क बनाया, जहां यूजर्स स्पैम रिपोर्ट कर सकें बिना लॉग शेयर किए। अब संदर्भ अलग है। FY25 में Apple ने भारत में $22 बिलियन के iPhone असेंबल किए, $10 बिलियन निर्यात किया।

नोएडा में दिसंबर 2025 में पांचवां स्टोर खुल रहा है। भारत Apple को चीन से डायवर्सिफाई करने के लिए जरूरी लगता है, खासकर ट्रंप के टैरिफ खतरे में। वहीं सरकार को ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता चाहिए। अनुपालन न करने पर iPhone बैन आर्थिक नुकसानदेह होगा।

विश्लेषकों का मानना है कि Apple ऐप पूर्व-स्थापित न करेगी, बल्कि iOS सेटिंग्स में फीचर्स इंटीग्रेट कर सकती है—जैसे DND केस में। Apple ने India Today Tech के सवालों का जवाब नहीं दिया। यह चुपचाप लेकिन तीव्र टकराव होगा। इतिहास से सीखें तो होमस्क्रीन पर ऐप नहीं, बल्कि सेटिंग्स में टॉगल दिखेगा—सरकार का फेस सेव और Apple का वॉल्ड गार्डन बरकरार।

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