
उत्तर प्रदेश के मोरादाबाद जिले के बहेरी गांव में रविवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। 46 वर्षीय बूथ लेवल अधिकारी (BLO) सरवेश सिंह ने घर के स्टोर रूम में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। सरवेश, जो एक प्राथमिक स्कूल में सहायक शिक्षक थे, को 7 अक्टूबर को पहली बार SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के तहत BLO का दायित्व सौंपा गया था।
पुलिस के अनुसार, उन्होंने अपनी मौत से पहले एक मार्मिक वीडियो और दो पेज का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें मतदाता सूची के संशोधन कार्य का अत्यधिक दबाव जिम्मेदार ठहराया। यह घटना हाल के हफ्तों में BLOs की लगातार हो रही आत्महत्याओं की कड़ी का हिस्सा है, जिसने राजनीतिक विवाद को हवा दे दी है।
सरवेश सिंह का यह पहला चुनावी कार्य था। BLO के रूप में उनका मुख्य काम जनता से चुनावी फॉर्म भरवाना, डेटा वेरिफिकेशन और डेटाबेस में अपलोड करना था। लेकिन SIR अभियान के तहत फैले हुए लक्ष्यों ने उन्हें तोड़ दिया। सुबह करीब 5 बजे उनकी पत्नी बबली देवी ने उन्हें लटका हुआ पाया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। पोस्टमॉर्टम के लिए शव भेज दिया गया है। सरवेश अपनी पत्नी और चार छोटी बेटियों- तनिश्का (10), महि (8), नuyu (6) और रूही (1.5 वर्ष)- के साथ रहते थे। परिवार ने आरोप लगाया कि लगातार सर्वे, डेटा चेकिंग और रिपोर्टिंग के चक्र ने उन्हें नींद उड़ा दी थी।
मौत से ठीक पहले रिकॉर्ड किए गए वीडियो में सरवेश आंसुओं से भीगते हुए टूट जाते नजर आते हैं। वे अपनी मां और बहन से माफी मांगते हुए कहते हैं, “मां, मेरी बेटियों का ख्याल रखना। मुझे माफ कर दो। मैं काम पूरा नहीं कर पाया। मैं कट्टर कदम उठाने जा रहा हूं।” वे आगे रोते हुए बताते हैं, “मैं गहरे दुख में हूं। पिछले 20 दिनों से सो नहीं पाया। मेरी चार छोटी बेटियां हैं। बाकी लोग काम पूरा कर लेते हैं, लेकिन मैं नहीं।” बहन को संबोधित करते हुए वे भावुक होकर कहते हैं, “मैं इस दुनिया से दूर जा रहा हूं। सॉरी बहन, मेरे जाने के बाद बच्चों का ध्यान रखना।” वीडियो में वे स्पष्ट कहते हैं कि उनकी मौत के लिए किसी को दोष न दिया जाए और परिवार से कोई सवाल न किया जाए। एक जगह वे फूट-फूटकर रोते हुए कहते हैं, “मैं जीना तो चाहता हूं, लेकिन क्या करूं? डर लग रहा है।”
सुसाइड नोट जिला बेसिक एजुकेशन ऑफिसर को संबोधित था। इसमें सरवेश ने लिखा, “रात-दिन मेहनत कर रहा हूं लेकिन SIR टारगेट पूरा नहीं हो पा रहा। समय की कमी और चिंता से रातें असहनीय हो गईं। मुश्किल से 2-3 घंटे सो पाता हूं। मेरी चार बेटियां हैं, जिनमें दो बीमार हैं। मुझे माफ कर दो।” नोट में उन्होंने अपर्याप्त मार्गदर्शन और ट्रेनिंग की कमी का भी जिक्र किया। परिवार के अनुसार, सरवेश को लगातार अफसरों के मैसेज और फोन आते रहते थे, जिसमें अपडेट मांगने के साथ नतीजे न आने पर धमकी भी दी जाती थी। दो बेटियों की बीमारी और घर का एकमात्र कमाने वाले होने का बोझ भी उन्हें तोड़ रहा था।
सीनियर पुलिस अधिकारी आशीष प्रताप सिंह ने नोट की पुष्टि करते हुए कहा, “नोट में BLO ड्यूटी के बोझ से निपट न पाने का जिक्र है। कानूनी कार्रवाई जारी है।” जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार सिंह ने घटना को स्वीकार करते हुए सरवेश की कार्यक्षमता की तारीफ की। उन्होंने कहा, “प्रारंभिक जानकारी से आत्महत्या लग रही है। उनका काम शानदार था। 67 प्रतिशत डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका था। अंगनवाड़ी कर्मी सहायता के लिए तैनात थे। प्रशासनिक और पुलिस जांच चल रही है। परिवार को हर संभव मदद देंगे।” हालांकि, परिवार ने पोस्टमॉर्टम से इनकार कर दिया और 5 करोड़ मुआवजा व एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग की।
यह घटना SIR अभियान के दबाव को उजागर करती है, जो 12 राज्यों- पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु समेत- में चल रहा है। हाल के हफ्तों में सात से अधिक BLOs की मौतें दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें आत्महत्याएं और हार्ट अटैक शामिल हैं। राजस्थान के धौलपुर में शनिवार को एक BLO डेटा अपलोड करते हुए गिर पड़े और उनकी मौत हो गई। विपक्ष ने चुनाव आयोग पर लापरवाही का आरोप लगाया है, जबकि आयोग ने रविवार को SIR शेड्यूल एक हफ्ते बढ़ा दिया। अब वोटर्स को नाम सत्यापन के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा, और BLOs व BLAs को अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत और डुप्लिकेट वोटर्स की सूची जमा करने के लिए सात दिन और मिलेंगे।
सरवेश की मौत ने BLOs की मानसिक स्वास्थ्य, ट्रेनिंग की कमी और कार्यभार पर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए तत्काल सुधार जरूरी हैं, जैसे अतिरिक्त स्टाफ, बेहतर तकनीकी सपोर्ट और काउंसलिंग। सरवेश की आखिरी पुकार- “मैं जीना चाहता हूं”- हर जिम्मेदार को सोचने पर मजबूर कर रही है।




