यूपी में सर्किल रेट के नए नियम: संपत्ति मूल्यांकन अब अधिक पारदर्शी और एकरूप

उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट की बिक्री को एकरूपता प्रदान करने और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सर्किल रेट में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। प्रदेश में संपत्तियों के मूल्यांकन और सर्किल रेट निर्धारण को लेकर बड़ा सुधार लागू हो गया है। महानिरीक्षक निबंधन द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार अब संपत्तियों के मूल्यांकन में एकरूपता लाने के लिए मानकीकृत कलेक्टर दर सूची का प्रारूप तैयार किया गया है, जो प्रदेश के सभी जनपदों में नई दर के रूप में लागू हो चुकी है।

इसके तहत किसी भी अकृषक संपत्ति जैसे वाणिज्यिक, औद्योगिक या आवासीय के सामने पार्क या एक से अधिक सड़कें होने पर संपत्ति का मूल्य दस से बीस प्रतिशत तक अधिक माना जाएगा, यानी पार्क या दो सड़कों से सटे प्लॉट का सर्किल रेट बीस फीसदी तक ज्यादा होगा। मूल्यांकन प्रक्रिया को सरल तथा पारदर्शी बनाने के लिए स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने उच्चस्तरीय समिति गठित की थी, जिसमें विभिन्न मण्डलों के उपमहानिरीक्षक एवं सहायक महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी शामिल थे।

इस समिति ने प्रदेशभर के जिलों से प्राप्त प्रस्तावों का अध्ययन कर मानकों का सरलीकरण किया। अब कृषि भूमि के मूल्यांकन में सड़क से दूरी को प्रमुख मानक बनाया गया है, जहां सड़क से दूरी बढ़ने पर भूमि का मूल्य उसी अनुपात में घटेगा। सरकारी या उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद, औद्योगिक विकास प्राधिकरण जैसे यूपीसीडा, नोएडा अथारिटी, यीडा या अन्य निकायों द्वारा आवंटित संपत्तियों का मूल्यांकन संबंधित सरकारी दरों के अनुरूप होगा और यदि दो दरों में अंतर होगा तो उच्चतर दर लागू की जाएगी।

एक हजार वर्गमीटर तक के भूखंडों पर स्टांप शुल्क सामान्य विधि से तय होगा, जबकि इससे बड़े भूखंडों में तीस प्रतिशत तक मूल्यह्रास की व्यवस्था की गई है। संपत्ति परिसर में स्थित सबमर्सिबल पंप, बोरवेल, कुआं, नल या हैंडपंप का मूल्यांकन अलग से किया जाएगा और इनके लिए अलग दरें तय की जा रही हैं।

स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने कहा कि नई मानकीकृत कलेक्टर दर सूची लागू होने से प्रदेश में संपत्ति मूल्यांकन की प्रक्रिया पहले से अधिक पारदर्शी और एकरूप हो जाएगी, जिससे खरीदार और विक्रेता दोनों को स्पष्ट दरों का लाभ मिलेगा तथा राजस्व वसूली में भी वृद्धि होगी। मंजिलवार भवन निर्माण के लिए अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं, जहां एक से चार मंजिल तक के भवन में प्रत्येक मंजिल के अविभाजित भूभाग का मूल्य अलग-अलग होगा, दो मंजिला भवन में प्रत्येक मंजिल की अविभाजित भूमि का पचास फीसदी, तीन मंजिला में क्रमशः तैंतीस दशमलव तीन तीन प्रतिशत और चार मंजिला में पच्चीस प्रतिशत हिस्सा मान्य होगा, जबकि चार से अधिक मंजिल वाले भवनों के लिए मूल्यांकन बहुमंजिला भवन या अपार्टमेंट की दरों पर किया जाएगा।

छत की रजिस्ट्री पर भी नई दरें तय हुई हैं, जिसमें भूमिगत तल की छत पर पचास फीसदी, प्रथम तल की छत पर एक तिहाई दर, द्वितीय तल की छत पर एक चौथाई दर तथा तृतीय तल या उससे ऊपर की छत पर पांचवें हिस्से की दर से मूल्यांकन होगा। भवन की उम्र के अनुसार मूल्यह्रास की दरें भी निर्धारित की गई हैं, जहां बीस वर्ष तक पुराने भवन पर कोई मूल्यह्रास नहीं होगा, बीस से तीस वर्ष तक पुराने भवन पर बीस प्रतिशत, तीस से चालीस वर्ष तक पुराने पर तीस प्रतिशत, चालीस से पचास वर्ष तक पुराने पर चालीस प्रतिशत तथा पचास वर्ष से अधिक पुराने भवन पर पचास प्रतिशत तक मूल्यह्रास की छूट मिलेगी, बशर्ते भवन की उम्र का प्रमाणिक साक्ष्य प्रस्तुत किया जाए।

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