
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच समस्तीपुर जिले के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र में शनिवार को सनसनीखेज घटना सामने आई। केएसआर कॉलेज के पास सड़क किनारे कचरे के ढेर में भारी मात्रा में वीवीपैट पर्चियां बिखरी मिलीं। ये पर्चियां उस क्षेत्र की थीं जहां 6 नवंबर को पहले चरण में मतदान हुआ था। सुबह ग्रामीणों की नजर पड़ी तो हड़कंप मच गया और पुलिस को सूचना दी गई।
आरजेडी ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए चुनाव आयोग को चोर आयोग करार दिया। पार्टी ने एक्स पर वीडियो पोस्ट कर सवाल उठाया कि ये पर्चियां कब, कैसे और किसके इशारे पर फेंकी गईं। विपक्षी दलों ने ईवीएम में धांधली का आरोप लगाया।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए पोस्ट किया कि सच्चे स्वच्छ भारत के लिए भाजपा राज में चुनाव आयोग के कुछ लोगों द्वारा फैलाया गया धांधलियों का कूड़ा हटना भी जरूरी है। उन्होंने लिखा कि भाजपा और उसके साथी लोकतंत्र में नहीं लूटतंत्र में विश्वास करते हैं। जनता घपले-घोटालों की सीमा पार कर चुकी है और अब पिछले दरवाजे वालों को अगले दरवाजे की जन-दस्तक सुनाई दे रही है।
मामले ने तूल पकड़ा तो समस्तीपुर डीएम रोशन कुशवाहा खुद मौके पर पहुंचे। उम्मीदवारों की मौजूदगी में पर्चियां जब्त की गईं। डीएम ने बताया कि ये मॉक पोल की पर्चियां हैं जो ईवीएम कमीशनिंग के दौरान टेस्टिंग के लिए निकाली जाती हैं। मॉक पोल में 5 प्रतिशत मशीनों पर प्रायोगिक वोटिंग होती है और पर्चियां श्रेड नहीं करने की लापरवाही हुई। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि ये असली मतदान की पर्चियां नहीं हैं इसलिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर कोई असर नहीं पड़ा। फिर भी लापरवाही के लिए सहायक रिटर्निंग ऑफिसर (एआरओ) को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया और एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए।
विपक्ष इसे महज लापरवाही नहीं मान रहा। आरजेडी सांसद मनोज झा ने सीईसी को चिट्ठी लिखकर स्ट्रांग रूम की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की। बिहार से यूपी तक सियासी हलचल मच गई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर मॉक पोल की पर्चियां भी सुरक्षित नहीं तो असली वोट पर भरोसा कैसे करें।
चुनाव आयोग ने जांच पूरी होने तक इंतजार करने को कहा है लेकिन यह मामला लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।





