कानपुर देहात: दिशा बैठक में सांसद भोले और पूर्व सांसद भिड़े, ‘गुंडा-हिस्ट्रीशीटर’ पर तीखी बहस; हाथापाई की नौबत

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में मंगलवार को जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक एक राजनीतिक अखाड़ा बन गई। अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी (राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला के पति) के बीच अवैध खनन, फैक्टरी जांच और व्यक्तिगत आरोपों को लेकर तीखी नोकझोंक हो गई।

बहस इतनी गरमाई कि ‘गुंडा’ और ‘हिस्ट्रीशीटर’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल होने लगा, और हाथापाई की नौबत आ गई। डीएम कपिल सिंह और एसपी श्रद्धांजलि पांडे को बीच-बचाव करना पड़ा, जिसके बाद बैठक बीच में ही स्थगित करनी पड़ी। इस घटना ने जिले में जातिवादी राजनीति को हवा दे दी है, और लोग तरह-तरह की चर्चाओं में मशगूल हो गए हैं।

बैठक में भिड़ंत: विकास कार्यों से शुरू होकर व्यक्तिगत हमले तक

जिलाधिकारी कार्यालय के सभागार में आयोजित दिशा बैठक में विकास कार्यों की समीक्षा के दौरान आरती डिस्टलरीज और मिर्जा तालाब की जांच का मुद्दा उठा। पूर्व सांसद वारसी ने सांसद भोले पर दिशा समिति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया, कहा कि वे 4-5 गुंडों को सदस्य बनाकर फैक्टरी मालिकों को परेशान करते हैं। वारसी ने कहा, “सांसद भोले जिले में फैक्ट्रियों और विकास कार्यों से वसूली कर रहे हैं।” जवाब में सांसद भोले ने वारसी पर हमला बोला, “तुम ब्राह्मण हो, ब्राह्मणवाद चलाओगे? जुबान संभालो।” बहस बढ़ते ही भोले ने कहा, “अगर गुंडों की बात की जाएगी, तो मुझसे बड़ा गुंडा कोई नहीं है। मैं कानपुर देहात का सबसे बड़ा हिस्ट्रीशीटर हूं।” वारसी ने पलटवार किया, “मारोगे क्या… मार डालोगे?” उनके समर्थक जितेंद्र सिंह गुड्डन, राजेश तिवारी और विवेक द्विवेदी भी भिड़ गए, जिससे हाथापाई की स्थिति बन गई। अधिकारियों ने किसी तरह दोनों पक्षों को शांत किया।

यह विवाद नया नहीं है। जुलाई 2025 में अकबरपुर नगर पंचायत के बदलापुर गांव में सड़क निर्माण विवाद में भाजपा कार्यकर्ता पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके विरोध में राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने थाने में 6 घंटे धरना दिया था। वारसी ने भी धरने में शामिल होकर कोतवाल पर पक्षपात का आरोप लगाया था। तब से दोनों पक्षों के बीच तनाव चरम पर है, और यह बैठक में फूट पड़ा।

वारसी का एसपी को धमकी पत्र: ‘मुझे मारने की धमकी, परिवार को खतरा’

बैठक के बाद पूर्व सांसद वारसी ने एसपी को शिकायती पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने सांसद भोले और उनके समर्थकों पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया। पत्र में लिखा, “आरती डिस्टलरीज का मुद्दा उठाने पर सांसद ने गालियां दीं और मारने के लिए दौड़े। उनके साथ जितेंद्र सिंह गुड्डन, राजेश तिवारी, विवेक द्विवेदी भी थे। पुलिस अधिकारियों ने बचाया। यदि मुझे या परिवार को कुछ होता है, तो सांसद और उनके लोग जिम्मेदार होंगे।” एसपी ने कहा कि पत्र अभी नहीं मिला, लेकिन फोन पर वारसी से बात हुई है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

जिले में जातिवादी राजनीति गरमाई: गुटबाजी लखनऊ तक पहुंची

यह घटना भाजपा में गुटबाजी को उजागर करती है। सांसद भोले (थakur) और वारसी (ब्राह्मण) के बीच वर्चस्व की लड़ाई जातिगत रंग ले रही है। अगस्त 2025 में पार्टी ने वारसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें आचरण पर सवाल उठाए गए थे।

सितंबर में वारसी ने अकबरपुर इंस्पेक्टर हटाने के लिए धरना देने की धमकी दी थी। अब यह विवाद लखनऊ तक पहुंच गया है, जहां प्रदेश नेतृत्व हस्तक्षेप की तैयारी में है। स्थानीय लोग कहते हैं कि विकास कार्यों के नाम पर वसूली और राजनीतिक दबाव आम हो गया है।

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