
चुनाव आयोग ने सोमवार (6 अक्टूबर 2025) को बिहार विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया। सभी 243 सीटों (जिनमें 38 अनुसूचित जाति और 2 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित) पर दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 6 नवंबर को 102 सीटों और दूसरे चरण में 11 नवंबर को 141 सीटों पर वोटिंग होगी। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए मतगणना 14 नवंबर को होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि राज्य में 7.4 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 3.5 करोड़ महिलाएं और 14 लाख पहली बार वोट डालने वाले युवा शामिल हैं। इसके अलावा, 14,000 से अधिक 100 वर्ष से ऊपर के मतदाता भी हैं। आयोग ने 17 नई पहलें भी घोषित कीं, जैसे सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग, ईवीएम पर रंगीन फोटो और मोबाइल फोन जमा करने की सुविधा।
राजनीतिक दलों की मांग पर चुनाव छठ पूजा (अक्टूबर के अंत) के बाद निर्धारित किया गया है, ताकि प्रवासी मजदूरों की भागीदारी बढ़े। एनडीए (जेडीयू-बीजेपी) और महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) ने स्वागत किया है। प्राशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने 9 अक्टूबर को उम्मीदवारों की सूची जारी करने की घोषणा की है।
SIR विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: हटाए गए मतदाताओं का ब्योरा दें
चुनाव तारीखों की घोषणा के बीच विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। मंगलवार (7 अक्टूबर 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए SIR के तहत अंतिम मतदाता सूची से बाहर रखे गए 3.66 लाख मतदाताओं का विस्तृत ब्योरा 9 अक्टूबर तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। जस्टिस सुदर्शन सुधीर और ज्योमल्या बागची की बेंच ने कहा कि यह सूची जिला-वार और बूथ-वार होनी चाहिए, जिसमें प्रत्येक नाम के साथ हटाने का कारण (जैसे मृत्यु, प्रवास, डुप्लिकेट) स्पष्ट हो। सूची को EPIC नंबर से सर्चेबल बनाकर बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा गया।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि SIR प्रक्रिया में आधार को वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए। आयोग ने कोर्ट को बताया कि SIR में जोड़े गए अधिकांश नाम नए मतदाताओं (21.53 लाख) के हैं, और पुराने मतदाताओं के कुछ नाम हैं। महत्वपूर्ण रूप से, आयोग ने सूचित किया कि बाहर रखे गए किसी भी मतदाता द्वारा अब तक कोई शिकायत या अपील दायर नहीं की गई है। विपक्ष (महागठबंधन) का आरोप है कि SIR से अल्पसंख्यकों और प्रवासियों के नाम हटाकर सत्ताधारी एनडीए को फायदा पहुंचाया जा रहा है। राहुल गांधी ने इसे “वोटर हटाओ अभियान” कहा था। आयोग ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि यह 22 वर्षों बाद पहली बार मतदाता सूची को शुद्ध करने का प्रयास है।
SIR अभियान जून 2025 में शुरू हुआ था, जिसमें 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से 3.70 करोड़ ने फॉर्म जमा किए। ड्राफ्ट रोल में 65 लाख नाम हटाए गए थे, लेकिन अंतिम सूची में 3.66 लाख ही बाहर रहे। कोर्ट ने अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को तय की है, जहां SIR की वैधता पर अंतिम बहस होगी। यदि कोई अनियमितता पाई गई, तो पूरी प्रक्रिया रद्द हो सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- एनडीए: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि NDA को 2/3 बहुमत मिलेगा।
- महागठबंधन: तेजस्वी यादव ने SIR को पक्षपाती बताया।
- अन्य: प्राशांत किशोर ने उम्मीदवारों की सूची जल्द जारी करने का ऐलान किया।
यह चुनाव बिहार की राजनीति में विकास, बेरोजगारी और जातिगत समीकरणों पर केंद्रित होगा। आयोग ने मतदाताओं से नाम की जांच करने और BLO से संपर्क करने की अपील की है।