
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 25 सितंबर 2025 को लखनऊ में पार्टी कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछड़े, दलित, और अल्पसंख्यक (PDA) समुदायों की एकता से डर रही है।

अखिलेश ने जाति को सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव का आधार बताते हुए कहा कि मंडल कमीशन ने जाति के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की थी, और भाजपा अब इस एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है। उन्होंने योगी सरकार के उस आदेश पर भी निशाना साधा, जिसमें एफआईआर, अरेस्ट वारंट, और अन्य सरकारी दस्तावेजों में जाति का उल्लेख न करने का निर्देश दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- जाति और पीडीए की एकता: अखिलेश ने कहा, “जाति हमारा इमोशनल कनेक्ट है। मंडल कमीशन की प्रस्तावना में साफ है कि हम जाति के आधार पर पिछड़े हैं, इसलिए हमें आरक्षण मिला।” उन्होंने आरोप लगाया कि जब से सपा ने विभिन्न विभागों में पीडीए समुदायों की कम भागीदारी के आंकड़े उजागर किए, तब से भाजपा घबरा गई है और लोगों को अपमानित कर रही है। उन्होंने कहा, “पीडीए को अब समाजवादी पार्टी पर भरोसा है।”
- भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप: अखिलेश ने दावा किया कि यूपी में भाजपा ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। उन्होंने कहा, “भाजपा के विधायक मंच से कहते हैं कि 10% कमीशन है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। वे हमें क्रीम, पाउडर, और शैंपू जैसे मुद्दों में उलझाते हैं, लेकिन हम भी बाजार जाएंगे।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा बड़े व्यवसायियों के साथ साठगांठ कर रही है, जिससे गरीबों और किसानों को नुकसान हो रहा है।
- किसानों के साथ अन्याय: अखिलेश ने भाजपा पर किसानों की जमीन हड़पने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “भाजपा दबाव बनाकर और झूठे मुकदमे लगाकर किसानों की जमीन छीन रही है। यह विकास का रास्ता नहीं है। हमारी सरकार बनने पर सर्किल रेट बढ़ाकर किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों के साथ अन्याय की कीमत पर विकास को सही नहीं ठहराया जा सकता।
- जाति आधारित दस्तावेजों पर विवाद: योगी सरकार के उस आदेश पर, जिसमें सरकारी दस्तावेजों में जाति का उल्लेख न करने का निर्देश है, अखिलेश ने कहा, “हरिजन एक्ट तो जाति के आधार पर ही बना है। जिन लोगों ने गंगाजल से मकान धुलवाया, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई? मैं जिस मंदिर में गया, वहां पंडित के मना करने के बावजूद भाजपा ने मंदिर को धुलवाया।” उन्होंने इसे पीडीए समुदायों के अपमान का हिस्सा बताया।
- नए नेताओं का स्वागत: अखिलेश ने सपा में शामिल होने वाले सुधीर चौहान, पूर्व विधायक चौधरी अमर सिंह, विद्यासागर, और बसपा से आए लालजी भारती का स्वागत किया। यह कदम सपा की पीडीए रणनीति को मजबूत करने की दिशा में देखा जा रहा है।
सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
अखिलेश यादव की पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति ने 2024 के लोकसभा चुनावों में सपा को उत्तर प्रदेश में 37 सीटें दिलाकर एक नया रिकॉर्ड बनाया था। यह रणनीति गैर-यादव ओबीसी, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों को एकजुट करने पर केंद्रित है। अखिलेश ने बार-बार दावा किया है कि भाजपा की नीतियां, जैसे नौकरियों में आरक्षण की अनदेखी और कथित तौर पर ठाकुर समुदाय को प्राथमिकता देना, पीडीए समुदायों के साथ अन्याय कर रही हैं।
उन्होंने हाल ही में पुलिस और अन्य सरकारी विभागों में ठाकुर समुदाय की कथित अधिकता को लेकर आंकड़े पेश किए, जिसे यूपी पुलिस ने “भ्रामक” बताकर खारिज किया। इसके बावजूद, अखिलेश ने इसे पीडीए के खिलाफ “आनुपातिक अन्याय” करार दिया। 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले, सपा की यह रणनीति गैर-यादव ओबीसी, जैसे कुरमी, चौहान, और राजभर समुदायों, को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश है, जो पहले भाजपा के साथ थे।
भाजपा का जवाब
भाजपा ने अखिलेश के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी पीडीए रणनीति केवल “वोटबैंक की राजनीति” है। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने पीडीए को “पर्सनल डेवलपमेंट अथॉरिटी” करार देकर तंज कसा और कहा कि यह केवल अखिलेश और उनके परिवार के फायदे के लिए है। भाजपा ने यह भी दावा किया कि उनकी सरकार ने सभी समुदायों के लिए समान अवसर प्रदान किए हैं और सपा के शासनकाल में “यादववाद” की तुलना में उनकी नीतियां अधिक समावेशी हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
X पर #PDA और #AkhileshYadav ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “अखिलेश जी ने पीडीए की ताकत को पहचाना और भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति को बेनकाब किया।” वहीं, कुछ यूजर्स ने इसे “जातिवादी राजनीति” करार दिया। एक अन्य यूजर ने लिखा, “भाजपा की नीतियों ने ओबीसी और दलितों को हाशिए पर धकेल दिया। अखिलेश का पीडीए गठजोड़ 2027 में खेल बदल सकता है।”