मुजफ्फरनगर पुलिस की लापरवाही से प्रेमी-प्रेमिका की आत्महत्या, बुलंदशहर के डिबाई में सनसनीखेज घटना

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के डिबाई क्षेत्र में 24 सितंबर 2025 को एक दुखद और सनसनीखेज घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। मुजफ्फरनगर की एक नाबालिग लड़की और हरिद्वार के 25 वर्षीय युवक, जो प्रेमी-प्रेमिका थे, ने पुलिस की घेराबंदी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

इस घटना में मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर पुलिस की कथित लापरवाही पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का आरोप है कि पुलिस की आक्रामक कार्रवाई और संवेदनशीलता की कमी ने इस त्रासदी को जन्म दिया।

घटना का विवरण
20 सितंबर 2025 को मुजफ्फरनगर के छप्पर थाना क्षेत्र की एक नाबालिग लड़की अपने प्रेमी, हरिद्वार के एक 25 वर्षीय युवक, के साथ घर से भाग गई थी। लड़की के परिवार की शिकायत पर छप्पर थाने में 22 सितंबर को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 137 (अपहरण) के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने जांच शुरू की और पता चला कि दोनों बुलंदशहर के डिबाई क्षेत्र में सराय किशनचंद मोहल्ले में एक किराए के मकान में रह रहे थे।

24 सितंबर की रात करीब 3:30 बजे, मुजफ्फरनगर पुलिस, प्रेमी के चाचा प्रमोद कुमार, और तीन अन्य ग्रामीणों (जिनमें गाँव का प्रधान शामिल था) के साथ डिबाई पहुंची। बुलंदशहर पुलिस की सहायता से उन्होंने मकान को घेर लिया। प्रमोद ने अपने भतीजे को बाहर से आवाज दी और पुलिस के साथ होने का आश्वासन दिया। लेकिन इसके तुरंत बाद, पड़ोस के मकान की छत से गोलियों की आवाज सुनाई दी। पुलिस ने जब छानबीन की, तो पाया कि प्रेमी ने पहले अपनी प्रेमिका को गोली मारी और फिर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों ने पुलिस की कार्रवाई को “आक्रामक” और “असंवेदनशील” बताया। उनका कहना है कि पुलिस ने स्थिति को शांत करने या बातचीत के जरिए हल करने की कोशिश नहीं की। एक स्थानीय निवासी ने X पर लिखा, “पुलिस ने ऐसा व्यवहार किया जैसे कोई आतंकवादी पकड़ा जा रहा हो। अगर वे धैर्य और समझदारी से काम लेते, तो शायद दो जिंदगियां बच सकती थीं।”

वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता राकेश शर्मा ने कहा, “यह घटना पुलिस की प्रशिक्षण और संवेदनशीलता की कमी को दर्शाती है। प्रेम-प्रसंग के मामलों में पुलिस को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, न कि सैन्य कार्रवाई जैसा रवैया।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रेमी के आपराधिक इतिहास (वह हाल ही में लूट के एक मामले में जेल से छूटा था) को देखते हुए पुलिस को और सतर्कता बरतनी चाहिए थी, लेकिन बिना उचित रणनीति के घेराबंदी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।

पुलिस का पक्ष
बुलंदशहर के एसएसपी दिनेश कुमार सिंह ने कहा, “मुजफ्फरनगर पुलिस के साथ हमारी टीम ने लड़की को बरामद करने के लिए संयुक्त अभियान चलाया था। जैसे ही पुलिस ने मकान को घेरा, प्रेमी ने घबराहट में पहले अपनी प्रेमिका को गोली मारी और फिर खुद को। यह एक दुखद घटना है, और हम इसकी जांच कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है, और प्रारंभिक जांच में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।

मुजफ्फरनगर पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने प्रोटोकॉल के अनुसार कार्रवाई की और परिवार के सदस्यों को साथ लाया था ताकि बातचीत से स्थिति को संभाला जा सके। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि स्थिति अप्रत्याशित रूप से बिगड़ गई।

सामाजिक और कानूनी प्रभाव
यह घटना उत्तर प्रदेश में प्रेम-प्रसंग से जुड़े मामलों में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाती है। हाल के वर्षों में, यूपी में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठे हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में मुजफ्फरनगर में ही एक गैंगरेप पीड़िता और उसके पति ने पुलिस की निष्क्रियता के कारण आत्महत्या का प्रयास किया था।

सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने X पर लिखा, “यह घटना यूपी पुलिस की संवेदनहीनता और अक्षमता का जीता-जागता सबूत है। सरकार को दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।”

आरोप और जवाबदेही
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ने मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया होता या मध्यस्थता के लिए प्रशिक्षित काउंसलर को शामिल किया होता, तो यह त्रासदी टल सकती थी। कुछ ने यह भी सवाल उठाया कि प्रेमी के पास अवैध हथियार कहां से आया, और पुलिस ने उसे पहले क्यों नहीं बरामद किया।

बुलंदशहर पुलिस ने कहा कि वे इस मामले में आंतरिक जांच शुरू करेंगे, और अगर कोई लापरवाही पाई गई, तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिसके कारण जनता में गुस्सा बढ़ रहा है।

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