
आगरा के थाना ट्रांस यमुना में 19 अगस्त को एक महिला और महिला दरोगा के बीच हुए विवाद और मारपीट का मामला सुर्खियों में है। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस और महिला के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
मामले की जांच के लिए पुलिस आयुक्त ने पूर्व एसएचओ और इंस्पेक्टर कोतवाली भानु प्रताप यादव को नियुक्त किया है, जबकि पुलिस पर लगे आरोपों की जांच एडीसीपी क्राइम हिमांशु गौरव को सौंपी गई है।
ट्रांस यमुना क्षेत्र की एक महिला, जो कमला नगर में बुटिक चलाती है, ने बताया कि 15 सितंबर 2024 को उनके घर में चोरी हुई थी, जिसमें लाखों के जेवरात और 80 हजार रुपये नकद चोरी हुए। इस मामले की जानकारी लेने के लिए वह थाने गई थीं, लेकिन पुलिस ने बिना ठोस जांच के जनवरी 2025 में मामले में फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगा दी थी। महिला का आरोप है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई। 19 अगस्त को वह नए थाना प्रभारी से केस की प्रगति जानने पहुंची थीं, जहां वीडियो बनाने को लेकर महिला दरोगा मनीषा से उनका विवाद हो गया। इस दौरान मारपीट हुई, और महिला ने दावा किया कि उसे कमरे में बंद कर बेरहमी से पीटा गया, उसका मोबाइल छीन लिया गया, और कपड़े फाड़े गए।
वहीं, पुलिस का कहना है कि महिला ने थाने में अभद्रता की और महिला दरोगा के साथ मारपीट की। वायरल वीडियो में महिला को पुलिसकर्मियों से उलझते और मारपीट करते देखा गया, जबकि अन्य पुलिसकर्मी उसे शांत करने की कोशिश कर रहे थे। इस घटना के बाद महिला के खिलाफ शांति भंग के आरोप में चालान किया गया, और उसे जमानत पर रिहा किया गया। 22 अगस्त को महिला ने एक और वीडियो वायरल किया, जिसमें उसने पुलिस पर मारपीट और उत्पीड़न के आरोप लगाए, साथ ही न्याय न मिलने पर आत्महत्या की धमकी दी।
जांच और कार्रवाई
अपर पुलिस उपायुक्त पूनम सिरोही ने दोनों पक्षों—महिला और दरोगा—के बयान दर्ज किए और अपनी रिपोर्ट पुलिस आयुक्त कार्यालय को सौंपी। उनकी जांच में दोनों पक्षों को दोषी पाया गया। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने कहा कि इस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, चोरी के मामले में लगाई गई फाइनल रिपोर्ट को पुलिस आयुक्त ने निरस्त कर दिया है, और इसकी जांच अब भानु प्रताप यादव को सौंपी गई है। पुलिस पर लगे अन्य आरोपों की जांच के लिए एडीसीपी क्राइम हिमांशु गौरव को जिम्मेदारी दी गई है।
महिला के पति का कहना है कि उनकी शिकायत पर चोरी के मामले में एफआर निरस्त की गई, लेकिन मारपीट के मामले में अभी तक किसी पुलिसकर्मी पर कार्रवाई नहीं हुई है। दूसरी ओर, पुलिस का दावा है कि महिला ने थाने में हंगामा किया और पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता की, जिसके कारण उसके खिलाफ शांति भंग की कार्रवाई की गई।
इस घटना ने पुलिस विभाग की छवि को प्रभावित किया है। जांच में सामने आए एक अन्य वीडियो से पता चलता है कि महिला ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट और अभद्रता की थी, जो पुलिस के दावों को मजबूत करता है। पुलिस अब साजिश के दृष्टिकोण से भी मामले की जांच कर रही है, और महिला के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी चल रही है। यह मामला सामाजिक व्यवहार और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, जिसकी गहन जांच जारी है।