
भारत और रूस सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल प्रणालियों की और आपूर्ति के लिए बातचीत कर रहे हैं।

भारत और रूस सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल प्रणालियों की और आपूर्ति के लिए बातचीत कर रहे हैं। रूस की संघीय सैन्य-तकनीकी सहयोग सेवा के प्रमुख दिमित्री शुगायेव ने कहा कि भारत पहले से ही एस-400 का उपयोग कर रहा है और नई आपूर्ति के लिए बातचीत चल रही है। गौरतलब है कि भारत ने 2018 में रूस के साथ पाँच एस-400 ट्रायम्फ प्रणालियों के लिए 5.5 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हालाँकि, इस सौदे में बार-बार देरी हुई और अब अंतिम दो इकाइयाँ 2026 और 2027 में मिलने वाली हैं।
इस बीच, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बुधवार को कहा कि भारत, रूस से संसाधन खरीदना बंद करने की अमेरिका की मांग के आगे नहीं झुका है और मास्को इसकी सराहना करता है। फ्रांस और इज़राइल से बढ़ती ख़रीद के बीच, रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2020 और 2024 के बीच, भारत के हथियारों के आयात का 36 प्रतिशत हिस्सा रूस से आया।
लंबे समय से रणनीतिक साझेदार रहे भारत और रूस ने अतीत में कई रक्षा परियोजनाओं पर सहयोग किया है और इसमें टी-90 टैंकों और एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन, मिग-29 और कामोव हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति, विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य (पूर्व में एडमिरल गोर्शकोव), भारत में एके-203 राइफलों का उत्पादन और ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम शामिल हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की और रूस की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली को कई मिसाइलों को रोकने और नष्ट करने का श्रेय दिया गया।