
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार पर स्कूलों के विलय और बंदी को लेकर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी द्वारा संचालित पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) पाठशालाओं को पुलिस की ताकत से नहीं रोका जा सकता। अखिलेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनौती दी कि वे स्वयं इन पाठशालाओं में आकर वहाँ के हालात का जायजा लें।

स्कूलों के विलय पर सवाल
लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने कई स्कूलों को बंद कर दिया है और कुछ का अन्य स्कूलों में विलय कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की इस नीति से ग्रामीण और गरीब बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अखिलेश ने कहा, “सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि उसने कई स्कूल बंद किए और कुछ का विलय किया। यह शिक्षा के अधिकार का हनन है।”
सपा का संकल्प: पीडीए पाठशाला
अखिलेश ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार बंद स्कूलों को फिर से शुरू नहीं करती और नए शिक्षकों की भर्ती नहीं करती, तब तक समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता पीडीए पाठशालाओं के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का काम जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, “हमारी पाठशालाएँ शिक्षा का अलख जगाएँगी। इन्हें कोई पुलिस बल नहीं रोक सकता। सीएम को चाहिए कि वे यहाँ आएँ और बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को देखें।”
सरकार पर निशाना
अखिलेश ने सरकार की नीतियों को जनविरोधी करार देते हुए कहा कि स्कूलों की बंदी और शिक्षकों की कमी से सबसे ज्यादा नुकसान पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को हो रहा है। उन्होंने माँग की कि सरकार तत्काल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू करे और बंद स्कूलों को फिर से खोले।
सियासी तनातनी
अखिलेश के इस बयान ने उत्तर प्रदेश की सियासत में नया तनाव पैदा कर दिया है। सपा की पीडीए पाठशाला पहल को सरकार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी ओर, भाजपा सरकार का कहना है कि स्कूलों का विलय संसाधनों के बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया गया है।