वाराणसी में गंगा का प्रकोप: मणिकर्णिका घाट पर शवों की कतार, नमो घाट पहली बार बंद, वरुणा-गोमती उफान पर

वाराणसी में लगातार भारी बारिश के कारण गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से 57 सेंटीमीटर ऊपर 72.03 मीटर तक पहुंच गया है, जिससे शहर में बाढ़ का संकट गहरा गया है। पहली बार नमो घाट को पूरी तरह बंद करना पड़ा है, और इसकी आकर्षक नमस्ते संरचना डूबने की कगार पर है।

पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। शीतला घाट और अस्सी घाट की सड़कों पर जलभराव हो गया है, जबकि सामने घाट की सड़क तक गंगा का पानी पहुंच चुका है। बाढ़ का पानी बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर से केवल 800 मीटर दूर है, और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गंगा द्वार की 13 सीढ़ियां रविवार शाम तक बची थीं। अगर जलस्तर इसी रफ्तार से बढ़ा तो सोमवार को और सीढ़ियां डूब सकती हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, गंगा का जलस्तर प्रति घंटे दो सेंटीमीटर की गति से बढ़ रहा है, जो रविवार सुबह 71.56 मीटर से रात 8 बजे तक 71.81 मीटर हो गया।

मणिकर्णिका घाट पर बाढ़ के कारण अंतिम संस्कार के लिए शवों की लंबी कतार लग रही है। गलियों में नावों से शव लाए जा रहे हैं, और नाविक 200 से 500 रुपये अतिरिक्त वसूल रहे हैं। छतों पर अंतिम संस्कार हो रहे हैं, और लकड़ी की कीमत 600-700 रुपये प्रति मन से बढ़कर 1000-1200 रुपये तक पहुंच गई है। हरिश्चंद्र घाट पर भी गलियों में शवदाह हो रहा है, जहां पहले 20-25 शवों का दाह संस्कार होता था, अब केवल 5-8 हो पा रहे हैं, और लोगों को 2-3 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। दशाश्वमेध घाट पर शीतला मंदिर पूरी तरह डूब चुका है, और जल पुलिस चौकी का केवल बोर्ड दिखाई दे रहा है। राजघाट की सभी सीढ़ियां डूब चुकी हैं, और स्थानीय लोग चिंतित हैं कि जल्द ही सड़कों पर भी पानी आ सकता है।

गंगा के पलट प्रवाह से वरुणा, नाद, और गोमती नदियां भी उफान पर हैं, जिससे कonia, सालारपुर, नक्खी घाट, दनियालपुर, और अन्य निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। जिला प्रशासन के अनुसार, 44 गांव और 24 शहरी मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं, जिससे 1410 परिवारों के 6583 लोग विस्थापित हुए हैं। 6244 किसानों की 1721 एकड़ फसल डूब गई है। 20 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां 953 लोग ठहरे हैं, और 1066 अन्य सुरक्षित स्थानों पर हैं। नाव संचालन पर रोक है, और गंगा आरती छतों पर हो रही है। काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास एनडीआरएफ और जल पुलिस तैनात हैं। मंडलायुक्त एस राजलिंगम ने ललिता घाट, सरस्वती फाटक, और अन्य क्षेत्रों का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने सावन के चौथे सोमवार को बाढ़ प्रबंधन और कांवड़ मार्गों की सुरक्षा की समीक्षा की, और घाटों पर 100 मीटर पहले बैरिकेडिंग व चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 17 प्रभावित जिलों में राहत कार्य तेज करने और 11 सदस्यीय मंत्रिस्तरीय टीम को जमीनी निरीक्षण के लिए निर्देश दिए हैं। बाढ़ ने 402 गांवों को प्रभावित किया है, और 84,392 लोगों को नुकसान हुआ है। एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं, और 22 नावें राहत कार्यों में लगी हैं। यह स्थिति 2013 की बाढ़ की याद दिला रही है, जब वरुणा नदी का पानी आधी रात को घरों में घुस गया था। लोगों से सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की गई है।

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