‘राजनीतिक जख्म’ से आज भी कराह जाते हैं नीतीश, जानिए 15 साल पहले से चलता आ रहा पासवान और नीतीश के बीच ’36 का आंकड़ा
आखिर ऐसी क्या वजह है जो दोनों पार्टियां बिहार की एलजेपी और जेडीयू एक-दूसरे को पसंद नहीं करती हैं। बिहार चुनाव में एनडीए से अलग होने पर एलजेपी की ओर से जेडीयू को लेकर कही गई बात के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह है? पूरे बिहार में हर जगह यही चर्चा रहती है की चिराग पासवान और नीतीश कुमार में ’36 का आंकड़ा’ है?
आपको बता दे कि साल 2005 के फरवरी-मार्च में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव से ठीक पहले रामविलास पासवान ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी लोकजनशक्ति बना ली थी और चुनाव में अकेले उतर गए थे। उस दौरान नीतीश कुमार और बीजेपी मिलकर लालू फैमिली की सरकार उखाड़ने की मुहिम में जुटे थे। नीतीश कुमार चाहते थे कि रामविलास पासवान उनके साथ रहें ताकि इस मुहिम को बल मिले, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। रामविलास पासवान अलग हो गए और अकेले चुनाव मैदान में उतरे। जिसके चलते दोनों एलजेपी और जेडीयू एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं।
बता दे कि लोक जनशक्ति पार्टी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होकर अपने दम पर बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला लिया है। हालांकि पार्टी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी से उसकी कोई कटुता नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व उसे मंजूर नहीं है। एलजेपी ने यह भी ऐलान कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने पर जीत हासिल करने वाले एलजेपी विधायक बीजेपी के ही साथ मिलकर प्रदेश में सरकार बनाएंगे। एलजेपी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में राज्य स्तर पर गठबंधन में शामिल जनता दल-युनाइटेड से वैचारिक मतभेद के कारण पार्टी ने गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।