देश के इस ‘हिस्से’ में 138 साल बाद लड़कियों को मिली पढ़ने की आजादी

पुणे। देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से कुछ घंटों की दूरी पर बसे पुणे की पहचान एजुकेशन हब के तौर पर है। पुणे में देश के नामी कॉलेज हैं। इनमें से एक है द इंग्लिश स्कूल। इसकी स्थापना लोकमान्य तिलक के द्वारा की गई थी। अब यह कॉलेज अपने एक ‘नियम’ को तोड़ने की वजह से चर्चा में है। मामला है लड़कियों की एंट्री का।

द इंग्लिश स्कूल

द इंग्लिश स्कूल में पढ़ेंगी लड़कियां

लोकमान्य तिलक के समय से पुणे में बहुत से शिक्षा संस्था हैं। इनमें से एक द इंग्लिश स्कूल में सिर्फ लड़कों को ही एडमिशन दिया जाता था। 138 सालों बाद द इंग्लिश स्कूल ने लड़कियों को एडमिशन दिया है।

138 सालों की परंपरा को तोड़ते हुए स्कूल प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है। लिंगभेद नष्ट करने के उद्देश्य से निर्णय लिया गया है। ऐसी जानकारी स्कूल प्रबंधन ने दी। इस स्कूल की स्थापना 1880 में किया गया था।

यह भी पढ़ें : किडनी बेचने पर मजबूर हुआ गरीब पिता , डीएम से मांगी इजाजत

यह स्कूल डेक्कन एजुकेशन सोसायटी द्वारा चलायी जाती है। 1936 में यह सोसायटी अंतर्गत इस स्कूल में लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए शिक्षा की सुविधा की गई थी लेकिन बाद में सोसायटी द्वारा सिर्फ लड़कियों के अहिल्या देवी स्कूल की स्थापना की गई थी।

इस बारे में स्कूल के मुख्याध्यापाक नागेश मोने ने कहा कि वो दिन अब गए, जहां लड़के-लड़कियों के लिए अलग स्कूल हुआ करता था। एक साथ शिक्षा लेना स्त्री-पुरुष का समान अधिकार है। इस साल अबतक स्कूल में 25 लड़कियों को एडमिशन देने की जानकारी स्कूल की मुख्याध्यापकों ने दी।

LIVE TV